खुली निकाय || बंद निकाय || विलगीत निकाय || वृहद निकाय || फलन अवस्था || विस्तृत गुण ||गहन गुण ||उर्जा विनिम की विधियाँ ||आंतरिक उर्जा||ऊष्मागतिकी के नियम

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सामान्यतः परिवेश ब्रह्मांड की वह हिस्सा होती है जो निकाय के द्वारा प्रभावित होती है:-

निकाय के प्रकार(Types of System )

उर्जा और द्रव्यमान के आदान-प्रदान के आधार पर निकाय मुख्यतः तीन प्रकार के होते है :-

 खुली निकाय(Open System) :- निकाय जो परिवेश के साथ उर्जा तथा द्रव्यमान दोनों का आदान-प्रदान करती हो खुली निकाय कहलाता है |

Ex- एक खुली तथा चालक बर्तन में CaCO3 को गर्म करना |

बंद निकाय(Close System ) :- निकाय जो परिवेश के साथ उर्जा का आदान-प्रदान करती हो परंतु द्रव्यमान का न करती हो बंद निकाय कहलाता है |

जैसे  एक बंद तथा सुचालक बर्तन में CaCO3 को गर्म करना |

विलगीत निकाय(Isolated System) :- निकाय जो साथ न उर्जा और नहीं द्रव्यमान का आदान-प्रदान करती हो विलगीत निकाय कहलाता है |

Ex- एक बंद तथा कुचालक बर्तन में रासायनिक अभिक्रिया का होना |

NOTE :- निकाय की अवस्था को हमलोग आयतन ,दाब एवं तापमान के रूप में प्रदर्शित करते हैं |

वृहद निकाय(Macroscopic system) :- निकाय संख्या में अणु ,परमाणु एवं आयन को रखता हो वृहद निकाय कहलाता है |

फलन अवस्था (State Function) :- ऊष्मागतिकी मात्रा जिनका मान केवल निकाय की प्रारंभिक तथा अंतीम अवस्था पर निर्भर करता हो फलन अवस्था कहलाता है |

जैसे – Entropy, ऊष्माधारित, विशिष्ट ऊष्मा, Entholpy आंतरीक उर्जा etc.

NOTE :- ऊष्मा (q) एवं कार्य (w) को छोड़कर सभी ऊष्मागतिकी मात्रा फलन अवस्था होती है |

निकाय के द्रव्यमान के निर्भरता के आधार पर उष्मागतिकी मात्रा मुख्यतः दो प्रकार के होते है :-

  •  विस्तृत गुण :- ऊष्मागतिकी मात्रा जिनका मान निकाय की द्रव्यमान पर निर्भर करता हो विस्त्रिन गुण कहलाता है |

             जैसे – आयतन ,ऊष्माधारित ,entropy ,आंतरीक उर्जा ,Entropy etc.

  •  गहन गुण :- ऊष्मागतिकी मात्रा जिनका मान निकाय की द्रव्यमान पर निर्भर न करता हो Intensive property कहलाता है |

           जैसे – घनत्व, अपवर्तनांक, इलेक्ट्रोड की मानक विधुतवाहक बल etc.

NOTE :- i. यदि  विस्तृत गुण को हमलोग प्रति मोल में व्यक्त करना शुरू कर दें तो वह गहन गुण बन जाता है |

जैसे -ऊष्माधारिता विस्त्रिन गुण है परंतु मोलर ऊष्माधारिता गहन गुण है क्योंकि एक मोल की द्रव्यमान निश्चित रहती है |

  • दो  विस्तृत गुणों का अनुपात हमेशा गहन गुण को प्रदर्शित करता है |

            जैसे – घनत्व  = द्रव्यमान /आयतन 

उर्जा विनिम की विधियाँ :- रासायनिक अभिक्रिया को होने के लिए निकाय और परिवेश के बीच उर्जा का आदान-प्रदान होना आवश्यक है | निकाय और परिवेश के बीच उर्जा का आदान-प्रदान दो रूपों में होता है |

(i) ऊष्मा(q) के रूप में :- यदि निकाय तथा परिवेश दो वभिन्न तापो पर हो तो निकाय और परिवेश के बीच उर्जा का आदान-प्रदान ऊष्मा के रूप में होता है |

यदि निकाय परिवेश से ऊष्मा को ग्रहण करती हो तो q>o, q = +Ve.

यदि निकाय परिवेश को ऊष्मा दे रही है q<o, q = -Ve

(ii) कार्य(w) के रूप में :-

यदि निकाय के द्वारा कार्य किया जाता हो तो, W<O or W = -Ve

यदि निकाय पर कार्य किया जाता हो तो, W>O, or W = +Ve

W = दाब(P)  x आयतन में परिवर्तन(∆V)

 W = P x ∆V

For expansion volume (V2>V1) निकाय के द्वारा किया गया कार्य

For compression volume (V1>V2) निकाय पर किया गया कार्य

1 litre atm. = 101.1 Joule

(atm.= atmoshphere)

आंतरिक उर्जा (E or U) :- निकाय में उपस्थित सभी अवयवी कणों में पाए जानेवाले सभी प्रकार की उर्जा |जैसे -गतिज उर्जा, प्रकाशीय उर्जा, ध्वनी उर्जा, etc. का योग निकाय की आंतरीक उर्जा कहलाती है|

नोट :- किसी भी निकाय की वास्तविक आंतरीक उर्जा की गणना हमलोग नहीं कर सकते है|हमलोग केवल निकाय की आंतरीक उर्जा में परिवर्तन को ही ज्ञात कर सकते है क्योंकि निकाय में उपस्थित सभी अवयवी कणों में पाए जानेवाले सभी प्रकार की उर्जा का वास्तविक ज्ञात नहीं हो सकता है |

आंतरिक उर्जा (E or V)

अभिक्रिया के लिए ,  ∆E = Eproduet – EReactent

∆E = EFinal – Einitial

किसी भी निकाय की आंतरिक उर्जा में परिवर्तन विस्त्रिन तथा फलन अवस्था होता है

ऊष्मागतिकी के नियम( Law of Thermodynamics):-

ऊष्मागतिकी के नियम का कोई भी प्रायोगिक प्रेक्षण नहीं होता है यह केवल मनुष्यों के अनुभव पर आधारित होता है|

First law of Thermodynamics (FLOT) :- रोबर्ट मेयेर ने दिया था ,ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम उर्जा संरक्षण सिधांत पर आधारित होता है|

Statement :- I उर्जा न बनाई जा सकती है और नहीं बिगाड़ी जा सकती है इसे हमलोग केवल एक रूप से दुसरे रूप में परिवर्तित कर सकते है | ब्रह्मांड की कुल उर्जा हमेशा एकसमान रहती है| किसी भी विलगीत निकाय की कुल उर्जा हमेशा नियत रहती है|

उष्मागतिकी के प्रथम नियम का गणितीय व्यंजक: मानाकि एक निकाय जिसकी प्रांरभिक आंतरिक उर्जा E1 है| यदि इसमें q (ऊष्मा) को प्रवाहित किया जाए तो निकाय की आंतरीक उर्जा E1+q हो जाती है | यदि इसमें W(कार्य) किया जाता हो तो निकाय की अंतिम आंतरीक उर्जा E1+q+W हो जाएगी |

E2=E1+q+W

E2-E1=q+W

∆E=q+W

∆E→आंतरिक उर्जा में परिवर्तन , q→ऊष्मा  W→कार्य. 

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