कोलाइडी घोल बनाने की बिधि,अपोहन,पेप्टिकारण,वैधुत अपोहन,टिंडल प्रभाव,ब्राउनि गति,बैधुत कण संचलन क्या है?
1.ब्रिज इलेक्ट्रिक अर्क विधि
इस विधि में धात्विक छड़ो के बीच इलेक्ट्रिक अर्क उत्पन किया जाता है | इस विधि इस विधि में दोनों छड़ो को जल और NaOH से भरे बिकर में डुबाया रहते है तथा इन दोनों के बीच इलेक्ट्रिक अर्क उत्पन किया जाता है | ऐसा करने से धातु के कण जल जलकर घोल में गिरने लगते है | ये कण कोलाइडी कणों के आकार में ही होते है | कुछ समय के पश्चात पूरा घोल कोलाइडी घोल बन जाता है | सामान्यतः इसी प्रक्रिया silver(Ag) and Gold(Au) के घोल के कोलाइडल घोल बनाये जाते है |
2. पेप्तिकरण(Peptisation)
पेप्तिकरण वह प्रक्रिया है , जिसमे किसी पदार्थ के घोल में उपयुक्त इलेक्ट्रोलाइट को योग करके उसे कोलाइडी घोल में परिवर्तित कर दिया है | यह प्रक्रिया खंडन के ठीक विपरीत प्रक्रिया है | उदाहरण के लिए जब शीघ्र निर्मित Ferric oxide की प्रतिक्रिया Ferric Chloride से कृते है तब तुरंत ही कोलाइडी घोल का निर्माण हो जाता है | जो गाढ़ा भूरे लाल रंग का होता है |
FeCl3 → Fe++++ 3Cl–
Fe(OH)3+Fe+++ → Fe(OH)3Fe+++ Dark redish brown (कोलाइडी घोल)
कोलाइडी घोल शुद्धीकरण (Purification of colloidal Solution )
अपोहन ( Dialysis)
कोलाइडी घोल को किसी झाली के सहयोग से वास्तविक घोल से पृथक करने की क्रिया को अपोछन कहते है | यदि विधि इस बात पर निर्भर करता है की कोलाइडी घोल में घुले अशुद्धियो के आकार में अंतर होता है इस प्रक्रिया में अशुद्धियां Colloidal घोल को एक Permanent bag में ले लेते है | जो पानी से भरे एक बीकर में लटकाकर रखा रहता है | अशुद्धियां जैसे – चीनी , नमक , यूरिया इत्यादि धीरे – धीरे करके अलग होकर बाहर जल में घुलते जाते है | कई बार इस प्रक्रिया को दोहराने के पश्चात सारी अशुधियां Permanent bag में केवल शुद्ध कोलाइडी घोल ही बचा रहता है |
वैधुत अपोहन (Electro-dialysis)
अपोछन की प्रक्रिया अत्यंत धीमी होती है अतः इसे पूर्ण होने में काफी समय लगता है | अतः समय को कम करने के लिए इस प्रक्रिया को विधुतीय क्षेत्र में कराया जाता है अतः अपोछन की वह प्रक्रिया जो विधुतीय क्षेत्र में कराई जाती है उसे वैधुत अपोछन कहते है | इस प्रक्रिया में अशुद्ध कोलाइडी घोल को A अक्ष में लेते है | B तथा C तथा कक्षा में शुद्ध जल होते है | दो Permanent membrane A तथा B एवं A तथा C के मध्य जोड़ देते है | दोनों इलेक्ट्रोड को विधुत धारा से जोड़ देते है | जब विधुत धरा प्रवाहित की जाती है | शुद्ध कोलाइडी घोल बचा रहता है |
अल्ट्राफिल्ट्रेशन(Ultrafiltration)
की सहायता से Colloidal कोलाइडी घोल को अशुद्धियो से अलग कर देने की प्रक्रिया को Ultrafiltration कहते है | Ultrafilter एक ऐसा Filter है जो अपने से होकर अशुद्धियो को प्रवाहित होने देता है जबकि कोलाइडी कणों को नहीं अतः ऐसी स्थिति कोलाइडी कण फ़िल्टर में ही रह जाते है | जबकि अशुद्धियो परिक्षेपण माध्यम के साथ बाहर चली जाती है | इस विधि द्वारा दोनों प्रकार कि विधुतीय तथा अविधुतीय अशुधियां अलग हो जाती है |
कोलाइडी घोल का भौतिक गुण
i.कोलाइडी घोल की प्रकृति विसमांग होती है अर्थात इसमें परीक्षित अवस्था तथा परिक्षेपण माध्यम होते है |
ii.कोलाइडी कणों को ultrfilter द्वारा छाना जाता है |
iii.कोलाइडी कण अदृश्य होते है | अतः इन कणों को अल्ट्रामाइक्रोस्कोप द्वारा देखा जाता है |
iv.लाइओफिलीक कोलाइड की श्यानता माध्यम से अधिक होती है जबकि लाइक्रोफोबिक कोलाइड की श्यानता माध्यम के बराबर होती है |
अणुसंख्य गुणधर्म (Colligative Properties)
कोलाइडी घोल की अनुसंख्यक गुणधर्म निम्न होती है | इसका कारण यह है कि colloidal (कोलाइडी) कण आकार में अत्यंत छोटे होते है तथा बहुत सारे कण एक साथ एकत्रित रहते है जिससे घोल में कणों की संख्या घट जाती है अतः ऐसी स्तिथि में अणुसंख्य गुणधर्म का मान घट जाता है |
टिंडल प्रभाव( Tyndal effect )
सन 1869 ई. में Tyndal (टिंडल) नामक वैज्ञानिक ने इस घटना का अवलोकन किया | उन्होंने यह देखा की जब किसी बंद कमरे में किसी पतले छिद्र से प्रकाश की किरण आती है तब मार्ग में पड़ने वाले धुल के कण चमकते है | टिंडल ने देखा की किसी प्रकाश पुंज को वास्तविक घोल से होकर प्रवाहित किया जाये तब इसे तब तक नहीं देखा जा सकता जब तक आंख को इनके सिद्ध में न रखा जाये परन्तु जब इसी प्रकाश पुंज को कोलाइडी घोल से होकर प्रवाहित किया जाए तब किरण पथ प्रवाहित हो जाता है | इसी घटना को टिंडल प्रभाव कहते है |
ब्राउनि गति (Broueniun motion)
सन 1827 ई. में रुसी वैज्ञानिक राबर्ट ब्राउन ने अल्ट्रामाइक्रोस्कोप की सहयाता से पानी में अवलम्बित सतह के कणों के अध्यन के फलस्वरूप यह पाया की ये कण अनियमित गति (Zig-Zag motion) में रहते है | इनके गमन की दिशा तेजी से बदलते रहती है | कोलाइडी कणों में भी इसी प्रकार की गति पायी जाती है | कणों में वर्तमान इस प्रकार के गति को उनके अविष्कार ब्राउन के नाम से ब्राउनी गति कहा जाता है |
वैधुत कण संचलन (Electrical properties Electrophoresis )
कोलाइडी घोल में विधुतीय गुण पाये जाते है जब इन्हें विधुतीय क्षेत्र में रखा जाता है तब ये कण (-ve) या (+ve) इलेक्ट्रोड की ओर गमन करने लगते है | इससे यह स्पस्ट होता है की कोलाइडी कण आवेशित होते है | किसी कोलाइडी घोल में उपस्थित आवेशित कणों का विपरीत आवेशो पर होने वाले गमन की प्रक्रिया को वैधुत कण संचलन कहते है |
जैसे – Fe(OH)3 , Al(OH)3 , Cr(OH)3 etc धनावेशित होते है जबकि As2S3 (Arsenic sulphite ),V2O5, सिलिकाजेल ,Au , Ag etc ये सभी ऋणवेषित होते है | एक U-tube में ऋणवेषित कोलाइड As2S3 को ले लेते है | तथा tube के दोनों छोरो को (-ve) and (+ve) पोल से जोड़ देते है | जब विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तब ये कण (+ve)पोल की ओर जमा होने लगते है | कोलाइडी कणों द्वरा प्रदशित इसी घटना को बैधुत कण संचलन कहते है |