हाइड्रोकार्बन सम्पूर्ण नोट्स 11th क्लास

अध्याय-9:हाइड्रोजन

आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान

हाइड्रोजन आवर्त सारणी का प्रथम तत्त्व है जिस का इलेक्ट्रोनिक विन्यास ns1 है।यह विन्यास क्षार धातुओं (प्रथमवर्ग) के समान है।

अतःहाइड्रोजनमेंविद्युतधनीयगुणहोताहैतथाइसकीसंयोजकता 1 हैएवंऑक्सीकरणअवस्था +1 है।

यह अपचायक भी है तथाअधातुओं से क्रिया करके ऑक्साइड, हैलाइड व सल्फाइड बनाता है, लेकिन इसकी आयनन एन्थैल्पी उच्च होती हैअतःयह धातु गुणन हींदर्शाता।

हाइड्रोजन को वर्ग संख्या 1 में-S- खण्ड के तत्त्वों के ऊपर रखा गया है ,यद्यपि यह हैलोजनों (वर्गसंख्या 17) से भी अनेक समानताएँ दर्शाता है, क्योंकि इस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 17 वें वर्ग से भी सम्बन्धित हैजो संगत उत्कृष्ट गैस विन्यास से एक कम है तथा यह एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर ऋणायन (-1) बनाता है।

यह हैलोजेन के समान द्विपरमाण्वीय अणु बनाता है तथा विभिन्न तत्त्वों सेक्रिया कर के हाइड्राइड एवं अनेक सहसंयोजी यौगिक बनाता है।हाइड्रोजन की क्रियाशीलता हैलोजनों से कम होती है।

हाइड्रोजन के कुछ गुण कार्बन के भी समान होते हैं।अतः हाइड्रोजन के इस अद्वितीय व्यवहार के कारण इसे आवर्त सारणी में अलग से रखा गया है।

हाइड्रोजन आवर्त सारणी का पहला तत्व है।हाइड्रोजन को किसी भी विशिष्ट समूह में इसके इलेक्ट्रॉन लेने (जब H- बनताहै) एवं इलेक्ट्रॉन खोने (जब H + बनताहै) गुण के कारण नहीं रखा गया है।

  1. हाइड्रोजन को समूह-1 (क्षारीयधातु) में रखा गया है क्योंकि
  2. इसमें, इसके 1s1कक्षक (बाह्य) में एक इलेक्ट्रॉन होता हैजोअन्य क्षार धातुओं के समान है जिनमें (अक्रियगैस) ns1विन्यास होता है।
  1. Li+, Na+ … के समान यह भी एक संयोजी H+आयन बनाता है।
  2. इसकी संयोजकता भी एक होती है।
  3. Li2O, Na2O के समान इसका ऑक्साइड भी (H2O) स्थायी है।
  4. Na, Li … के समान यह भी एकअच्छाअपचायकहै (परमाणुएवंअणुअवस्थामें)
  5. हाइड्रोजन हैलोजन (समूह VII A) से भी इस तरह समानता दर्शाता है।
  6. F2, Cl2 … के समान यह भी द्विपरमाणुक (H2) है।
  7. F, Cl.. के समान यह भी एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर ऋणायन H बनाता है।
  8. हैलोजन CCl4, SF2Cl2 आदि के समान H काभी CH4, C2H6 की तरह स्थायी अक्रिय गैस (He) अभि विन्यास है 
  9. F, Cl , … के  समान H में भी द्विलक (स्थायीअभिविन्यास)  का एक इलेक्ट्रॉन कम होता है। F, Cl, में भी अष्टक की अपेक्षा एक इलेक्ट्रॉन कम होता है , F – 2s22p; Cl- 3s23p5
  10. हैलोजन के समान H (1312 kJ mol-1) की भी आयनन ऊर्जा समान कोटि की होती है।
  11. H की आयनन ऊर्जा क्षारीय धातुओं कीअपेक्षा अति उच्च होती है। H+का आकार भी क्षारीय धातु आयन कीअपेक्षा त्यन्तकम है। H अपनी इलेक्ट्रॉन बन्धुता (72.8kJ mol-1) के कम मान के कारण केवल प्रबल धन विद्युती धातु के साथ स्थायी हाइड्राइड बनाता है।
  12. हाइड्रोजन केअसामान्य व्यवहार की दृष्टि से, इसका सारणी में किसी निश्चित स्थान का निर्धारण अत्यन्त मुश्किल है इसलिये इसको व्यवहारिक रूप से समूह I में (क्षारीय धातुओं के साथ) रखते हैं एवं समूह VII (हैलोजन के साथ) में भी रखते हैं।

हाइड्रोजन का आवर्त सारणी में विशिष्ट स्थान

हाइड्रोजन की हैलोजनों, क्षार धातुओं तथा कार्बन से समानता के कारण इसको आवर्त सारणी में एक निश्चित स्थान देना बहुत मुश्किल है।आवर्ती वर्गीकरण इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर आधारित है अतः इसे प्रथम वर्ग में रखना अधिक उचित प्रतीत होता है फिर भी इसके अद्वितीय व्यवहार के कारण इसे आवर्त सारणी में अलग से रखा गया है।

डाइहाइड्रोजन प्राप्ति

डाइहाइड्रोजन ब्रह्माण्ड में अधिकतम पाया जाने वाला तत्त्व (ब्रह्माण्ड के सम्पूर्ण द्रव्यमान का 70 प्रतिशत) है तथा यह सौर मण्डल का प्रमुख तत्त्व है।विभिन्न ग्रहों, जैसे-बृहस्पति तथा शनि में अधिकांश हाइड्रोजन ही होती है, लेकिन यह हल्की होने के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल में कम मात्रा (द्रव्यमान का लगभग 0.15 प्रतिशत) में पायी जाती है।

संयुक्त अवस्था में या भू- पर्पटी तथा महासागरों के 15.4  प्रतिशत भाग का निर्माण करती है ।संयुक्त अवस्था में जल के अतिरिक्त यह पौधों, जन्तु-ऊतकों, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, हाइड्राइड, हाइड्रोकार्बन तथा अन्य कई यौगिकों में पायी जाती है। पृथ्वी पर उत्पन्न ज्वालामुखी तथा पेट्रोलियम गैसों में भी हाइड्रोजन गैस पायी .जातीहै, लेकिन हाइड्रोजन मुक्त अवस्था में नहीं पायी जाती है।

हाइड्रोजन के समस्थानिक

हाइड्रोजन एक ही तत्त्व के भिन्न-भिन्न परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या भिन्न-भिन्न होती है उन्हें समस्थानिक कहते हैं।इनमें न्यूट्रॉनों की संख्या भिन्न-भिन्न होती है।हाइड्रोजन के अभी तक तीन समस्थानिक ज्ञात हैं—

  • सामान्य हाइड्रोजन ( प्रोटियम ) 1H1 परमाणुभार 0078
  • ड्यूटिरियम ( भारी हाइड्रोजन ) 1H2अथवा D (परमाणुभार014)
  • ट्राइटियम ( अति भारी हाइड्रोजन ) 1H3अथवा T (परमाणु भार016) इनके द्रव्यमान का अनुपात 1.0078 : 2.014 : 3.016 होता है

हाइड्रोजन, ड्यूटिरियम तथा ट्राइटियम में न्यूट्रॉनों की संख्या क्रमश : 0, 1 व 2 होती है।

डाइहाइड्रोजन बनाने की प्रयोगशाला विधियाँ

प्रयोगशाला में डाइहाइड्रोजन या हाइड्रोजन निम्नलिखित विधियों द्वारा बनायी जाती है—

  1. सामान्यतः हाइड्रोजन को दानेदार जिंक की तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल या तनु H2SO4सेअभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है।
    Zn (s) + 2H+ (aq) → Zn2+ (aq) + H2 (g)
    Zn (s) + 2HCl (aq) → ZnCl2 (aq) + H2 (g)
    इस विधि में Zn के स्थान पर Mg या Fe भी लिया जा  सकता है।
  2. हाइड्रोजन को जिंक धातु की जलीय क्षार के साथ अभिक्रिया से भी बनाया जाता है।
    Zn (s) + 2NaOH (aq) → Na2ZnO2(aq) + H2 (g)
    सोडियम जिंकेटइस विधि में  Zn के स्थान पर  Al लेकर भी H, गैस प्राप्त की जा सकती है। 
    2Al + 2NaOH + 2H2O → 2NaAlO2 + 3H2
  3. धातुओं की जल से क्रिया द्वारा- सक्रिय धातु जैसे सोडियम, कैल्सियम इत्यादि ठण्डे जल से क्रिया करके संगत हाइड्रॉक्साइड तथा H2गैस बनाते हैं।
    2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
    Ca + 2H2O → Ca(OH)2 + H2
    मैग्नीशियम तथा ऐलुमिनियम जैसी धातुएँ गर्म जल से क्रिया करके  H2 गैस देती हैं।
    Mg + 2H2O → Mg(OH)2 + H2
  4. धातु हाइड्राइडों की जल सेक्रिया द्वारा-क्षार तथा क्षारीय मृदा धातुओं के हाइड्राइड जल से क्रिया करके  H2गैस बनाते हैं।

         NaH + H2O → NaOH + H2

        CaH2 + 2H2O → Ca(OH)2 + H2

डाइहाइड्रोजन का व्यापारिक उत्पादन

हाइड्रोजन के व्यापारिक उत्पादन के लिए निम्नलिखित विधियाँ प्रयुक्त होती हैं-

  1. जल के विद्युत अपघटन द्वारा :-प्लैटिनमइलेक्ट्रॉडकोप्रयुक्तकरकेअम्लीययाक्षारीयजलकेविद्युतअपघटनसेहाइड्रोजनगैसप्राप्तहोतीहै।

2H2O →विद्युतअपघटनअम्ल / क्षार→ 2H2 (g) + O2 (g)

अम्लीयमाध्यमकेलिएजलमेंकुछबूँदें H2SO4 कीडालीजातीहैं।विद्युतप्रवाहितकरनेपरकैथोडतथाएनोडपरहोनेवालीअभिक्रियाएँनिम्नलिखितहैं—
2H2O ⇌ 2H+ + 2OH
कैथोड (ऋणाग्र) पर 2H+ + 2e- → H2
एनोड (धनाग्र ) पर 2OH → H2O + ½02 + 2e-

निकलइलेक्ट्रोडोंकेबीचरखेहुएबेरियमहाइड्रॉक्साइड [ Ba(OH)2 ] केजलीयविलयनकागरमअवस्थामेंविद्युतअपघटकरनेपरअतिशुद्ध ( > 99.95 % ) हाइड्रोजनप्राप्तहोतीहै।औद्योगिकस्तरपर H2 गैसबनानेकीयहएकमुख्यविधिहै।

  1. लेन प्रक्रम द्वारा:- रक्ततप्तआयरनपरअतितप्त . जलवाष्पगुजारनेपरहाइड्रोजनगैसप्राप्तहोतीहै। 3Fe + 4H2O ⇌1173K⇌ 3Fe3O4 + 4H2
    जलवाष्पअभिक्रियासेप्राप्तआयरनऑक्साइड (Fe3O4) परभापअंगारगैस (CO + H2) प्रवाहितकरनेसेयहपुनःआयरनमेंपरिवर्तितहोजाताहै।
    Fe3O4 + 2 (CO + H2) → 3Fe + 2CO2 + 2H2O

डाइहाइड्रोजन के गुण

भौतिक गुण

  1. हाइड्रोजनज्ञाततत्त्वोंमेंसबसेहल्कीगैसहैतथायहवायुसेहल्कीहोतीहै।इसकाघनत्ववायुकीअपेक्षा0695 : 1 होताहै।
  2. यहरंगहीन, गंधहीनतथास्वादहीनगैसहै।
  3. यहजलमेंलगभगअविलेयहै।
  4. हाइड्रोजनगैसज्वलनशीलहोतीहैलेकिनजलनेमेंसहायकनहींहै।
  5. हाइड्रोजनकाक्वथनांक39K तथागलनांक 13.96K होताहै।
  6. Pt तथा Pd धातुओंद्वारा H, गैसकाअधिशोषणहोजाताहै , इसेहाइड्रोजनकाअधिधारणकहाजाताहै।

रासायनिक गुण

H – H बन्धवियोजनएन्थैल्पीकामानकिसीतत्त्वकेदोपरमाणुओंकेबीचएकलबन्धकेलिएअधिकतमहोताहैअतः H2स्थायीहोतीहै।इसीकारणकक्षतापपरयहनिष्क्रियहोतीहै।हाइड्रोजनकेइलेक्ट्रॉनिकविन्यास (1s1) मेंअपूर्णकक्षकहोताहैअतःयहलगभगसभीतत्त्वोंकेसाथसंयोगकरतीहै।अभिक्रियाओंकेदौरानहाइड्रोजन

  1. एकइलेक्ट्रॉनदेकर H+बनातीहै।
  2. एकइलेक्ट्रॉनग्रहणकरके Hबनातीहैतथा
  3. इलेक्ट्रॉनयुग्मकेसाझेसेएकलसहसंयोजीबन्धबनातीहाइड्रोजनकेरासायनिकगुणनिम्नलिखितहैं

हाइड्राइड

हाइड्रोजनकीअन्यतत्वों (उत्कृष्टगैसोंकेअतिरिक्त) केसाथक्रियासेबनेद्विअंगीयौगिकोंकोहाइड्राइडकहतेहैं।जैसे MgH2, B2H6 इत्यादि।

IUPAC केअनुसारवेतत्त्वजिनकीविद्युतऋणताहाइड्रोजनसेकमहोतीहैंहाइड्रोजनकेसाथमिलकरहाइड्राइडबनातेहैंजैसे— NaH, CaH, इत्यादि

परन्तुहाइड्रोजनकेवेद्विअंगीयौगिकजिनमेंहाइड्रोजनकीविद्युतऋणतादूसरेतत्त्वसेकमहोतीहैवेवास्तवमेंहाइड्राइडनहींहोतेहैंलेकिनइन्हेंभीहाइड्राइडोंकीश्रेणीमेंहीलियाजाताहैतथाइन्हेंहाइड्रोजनआइडकहाजाताहैजैसे HCl (हाइड्रोजनक्लोराइड)।

हाइड्राइडों का वर्गीकरण

हाइड्राइडोंउपस्थितबन्धकीप्रकृतिकेआधारपरइन्हेंमुख्यतःतीनभागोंमेंवर्गीकृतकियाजाताहै—

  1. आयनिकयालवणीययालवण- समानहाइड्राइड
  2. सहसंयोजकयाआण्विकहाइड्राइड
  3. धात्विकयाअरससमीकरणमितीयहाइड्राइडयाअन्तराकाशीहाइड्राइड

आयनिक या लवणीय हाइड्राइड

अधिकविद्युतधनीप्रकृतिकेतत्त्व (क्षारधातु, क्षारीयमृदाधातुतथा La) हाइड्रोजनकेसाथमिलकररससमीकरणमितीयहाइड्राइडबनातेहैं, इन्हेंलवणीयहाइड्राइडकहतेहैं।

इसप्रकारकेहाइड्राइडोंमेंमुख्यतःआयनिकगुणहोताहैअतःइन्हेंआयनिकहाइड्राइडभीकहाजाताहै।

सामान्यतःधातुतथाहाइड्रोजनकीसीधेअभिक्रियाद्वाराआयनिकहाइड्राइडबनतेहैं।

जैसे–

2Na + H2 → 650K → 2NaH
Ca + H2 → 423K → CaH2

सहसंयोजक या आण्विक हाइड्राइड

अधिकतर p-ब्लॉककेतत्त्वहाइड्रोजनकेसाथइलेक्ट्रॉनोंकासाझाकरकेसहसंयोजकहाइड्राइडबनातेहैंतथायेअणुकेरूपमेंपाएजातेहैंअतःइन्हेंआण्विकहाइड्राइडभीकहाजाताहै।

उदाहरण CH4, NH3, H2O तथा HF इत्यादि।

धात्विक या अरससमीकरणमितीय या अन्तराकाशी हाइड्राइड

अन्तराकाशीहाइड्राइडसामान्यत : d तथा f-ब्लॉककेतत्वों (7 से 9 वर्गकेअलावा) द्वाराबनाएजातेहैंलेकिनछठेवर्गमेंकेवल Cr हीइसप्रकारकेबनाताहै।

अन्तराकाशीहाइड्राइडोंकोउच्चतापपरधातुद्वारासीधेहीहाइड्रोजनकेअवशोषणसेयाधातुऑक्साइडोंकेविद्युतअपचयनद्वाराबनायाजासकताहै।हाइड्रोजनकीकमीकेकारणयेहाइड्राइडहमेशाअरससमीकरणमितीयहोतेहैंअर्थात्येस्थिरसंगठनकेनियमकापालननहींकरतेहैंतथाइनकासंगठनपरिवर्तनशीलहोताहै।

उदाहरण- LaH2.87 , TiH1.5-1.8 , ZrH1.3-1.75 , VH0.56 इत्यादि

जल की संरचना

जलकेअणु (H2O) मेंऑक्सीजनपर sp3संकरणहोताहैतथाइसमेंऑक्सीजनपरदोएकाकीइलेक्ट्रॉनयुग्मउपस्थितहोनेकेकारणगैसअवस्थामेंइसकीआकृति V- जैसी, कोणीययाबंकित (bent) होतीहै।

1.p – 1.p प्रतिकर्षणकेकारणबन्धकोणकामान 104.5° होजाताहैतथाइसमें O – H बन्धलम्बाई 95.7pm होतीहै।

जल के भौतिक गुण

  1. जलएकरंगहीन, गंधहीनतथास्वादहीनद्रवहै।
  2. जलकीविशिष्टऊष्मा , तापीयचालकता, पृष्ठतनाव, द्विध्रुवआघूर्णतथापरावैद्युतांक (78.39) केमानभीउच्चहोतेहैंजोकिअन्यद्रवोंकीतुलनामेंअधिकहैं।इन्हींविशिष्टगुणोंकेकारणजीवमण्डलमेंजलकीमहत्त्वपूर्णभूमिकाहोतीहै।
  3. जलकाहिमांक (273K), क्वथनांक (373K), वाष्पनऊष्मातथासंलयनऊष्माउच्चहोतीहै।इनसबकाकारणजलकेअणुओंकेमध्यअन्तराअणुकहाइड्रोजनबंधहै।
  4. 298K तापपरजलकाघनत्व00g / cm3 होताहै, लेकिनइसकाअधिकतमघनत्व 277K तापपरहोताहै।जलउदासीनहोताहै।
  5. जलकीविशिष्टचालकताबहुतकमहोतीहैक्योंकिइसकाआयननकमहोताहै।
  6. जलकीउच्चवाष्पनऊष्मातथाउच्चऊष्माधारिताहीजीवोंकेशरीरतथाजलवायुकेतापकोसामान्यबनाएरखनेकेलिएउत्तरदायीहै।
  7. वनस्पतियोंतथाप्राणियोंकेउपापचयमेंअणुओंकेअभिगमनकेलिएजलएकविलायककेरूपमेंकार्यकरताहै।
  8. जल, ध्रुवीयसहसंयोजकयौगिकोंकेसाथहाइड्रोजनबंधबनाताहैअतःयेयौगिकजलमेंविलेयहोतेहैंजैसे, ऐल्कोहॉल, ग्लिसरॉलतथाकार्बोहाइड्रेट (ग्लूकोस, शर्करा) इत्यादि।

जल के रासायनिक गुण

  1. उभयधर्मीप्रकृति:-जलकास्वतःआयनन ( स्वतःप्रोटोनीअपघटन ) निम्नप्रकारहोताहै—

H2O (l) अम्ल- 1 + H2O (l) क्षार -2 ⇌ H3O+ (aq) अम्ल -2 + OH (aq) क्षार -1

अतःब्रेन्स्टेदलॉरीकेअनुसारयहप्रोटॉनदेभीसकताहैतथाप्रोटॉनग्रहणभीकरसकताहैइसलिएयहउभयधर्मीहोताहै।क्षारोंकेसाथयहम्लकीतरहतथाअम्लोंकेसाथयहक्षारकीभाँतिकार्यकरताहै।

  1. जलअपघटन:- जलमेंबहुतसेआयनिकयौगिकविलेयहोतेहैंक्योंकिइसकापरावैद्युतांककामानउच्चहोताहैअतःइसमेंजलयोजनकीप्रवृत्तिहोतीहै।लेकिनबहुतसेयौगिकजलसेक्रियाकरकेविभिन्नउत्पादबनातेहैं, इसेजलअपघटनकहतेहैं।

जलअपघटनमेंजलद्वारायौगिककाविघटनहोकरनएयौगिकबनतेहैं।

उदाहरण

P4O10 (s) + 6H2O (l) → 4H3PO4 (aq)
SiCl4 (l) + 2H2O (l) → SiO2 (s) + 4HCl (aq)

कठोर एवं मृदु जल

सामान्यतःवर्षाकाजललगभगशुद्धहोताहै।यहजलजबपृथ्वीकीसतहपरबहताहैतोइसमेंबहुतसेलवणघुलजातेहैंइससेजलकठोरहोजाताहै।जलकीकठोरताजलमेंविलेयकैल्सियमतथामैग्नीशियमकेकार्बोनेट , क्लोराइडतथासल्फेटकेकारणहोतीहै।

अतःजलदोप्रकारकाहोताहै – मृदुजलतथाकठोरजल।

मृदु जल :-मृदुजलवहहोताहैजिसमेंविलेयशीलकैल्सियमतथामैग्नीशियमलवणनहींहोतेहैंतथायहसाबुनकेसाथआसानीसेझागदेदेताहै।

कठोर जल :-वहजलजिसमेंविलेयशीलकैल्सियमतथामैग्नीशियमलवण, कार्बोनेटक्लोराइडतथासल्फेटकेरूपमेंउपस्थितहोतेहैं, उसेकठोरजलकहतेहैं।यहसाबुनकेसाथआसानीसेझागनहींदेताहै।

जलकीकठोरतादोप्रकारकीहोतीहै—

  1. अस्थायीकठोरता
  2. स्थायीकठोरता

अस्थायी कठोरता

अस्थायीकठोरताजलमेंकैल्सियमएवंमैग्नीशियमकेबाइकार्बोनेट (हाइड्रोजनकार्बोनेट) कीउपस्थितिकेकारणहोतीहै।इसेअस्थायीकठोरताइसलिएकहाजाताहैक्योंकिइसेजलकोगरमकरने, उबालनेअथवाआसवनद्वारादूरकियासकताहै।

सामान्यतयाजलकीअस्थायीकठोरताको1.उबालकरतथा 2.क्लार्कविधिद्वारादूरकरतेहैं।

स्थायी कठोरता

जलकीस्थायीकठोरताकाकारणउसमेंविलेयकैल्सियमतथामैग्नीशियमकेक्लोराइडतथासल्फेटकेकारणहोतीहै।यहकठोरताजलकोउबालकरदूरनहींकीजासकतीहै।

स्थायीकठोरताकीपहचानयहहैकिइसजलमेंसाबुनझागनहींदेताहैनहीइसमेंफसलअच्छीहोतीहैऔरनहीयहपाचनक्रियामेंलाभकारीहै।निम्नलिखितविधियोंद्वाराजलकीस्थायीकठोरताकोदूरकियाजासकताहै

  1. धावनसोडा (सोडियमकार्बोनेट) द्वारा
  2. परम्युटिटविधियाआयनविनिमयविधिद्वारा
  3. केलगॉनविधिद्वारा
  4. आयनविनिमयकसंश्लेषितरेजिन्सद्वारा

H2Oकी संरचना

H2O2कीसंरचनाखुलीकिताबकीतरहतथाअसमतलीयहोतीहैजिसमेंद्वितलयाद्विफलकीयकोण 111.5° होताहै।लेकिनइसकीठोसअवस्थामेंबन्धकोण 90.2° होताहै।

H2O2मेंऑक्सीजनपर sp3 संकरणहोताहैतथाइसमेंदो- OH बन्धभिन्नतलमेंउपस्थितहोतेहैं।

हाइड्रोजन परॉक्साइड बनाने की विधियाँ

हाइड्रोजनपरॉक्साइडकोनिम्नलिखितविधियोंद्वाराबनायाजाताहैं।

  1. बेरियम परॉक्साइड परतनु सल्फ्यूरिक अम्ल की क्रिया द्वारा:-बर्फसेठण्डेकियेगयेक्रिस्टलीययाहाइड्रेटेडबेरियमपरॉक्साइड (BaO2.8H2O) केतनुविलयनमेंठण्डातनु H2SO4विलयनमिलानेपरहाइड्रोजनपरॉक्साइडतथाबेरियमसल्फेटकाअवक्षेपप्राप्तहोताहै।

इसमेंउपस्थितजलकेआधिक्यकोकमदाबपरवाष्पितकरकेपृथक्कियाजाताहै।

BaO2.8H2O (s) + H2SO4 (aq ) → H2O2 (aq) + BaSO4 (s) + 8H2O

अवक्षेपितबेरियमसल्फेटको (BaSO4) छानकर, पृथक्करलेतेहैंऔरछनित (विलयन) केरूपमेंतनु H2O2प्राप्तहोजाताहै।

  1. मर्क विधि द्वारा :-बेरियमपरॉक्साइडकोबर्फकेजलसेठण्डाकरकेविलयनमेंकार्बनडाइऑक्साइडगैसप्रवाहितकरतेहैं, तोहाइड्रोजनपरॉक्साइडबनतीहैऔरसाथहीबेरियमकार्बोनेटकाअवक्षेपबनताहै।

BaO2 + H2O + CO2 → BaCO3 (अवक्षेप) + H2O2

अविलेयबेरियमकार्बोनेटकोछानकरपृथक्करलियाजाताहै।तथाछनित (Filtrate) केरूपमें H2O2काविलयनप्राप्तकरलियाजाताहै।

  1. औद्योगिक उत्पादन :-हाइड्रोजनपरॉक्साइडकाऔद्योगिकउत्पादन 2 -ऐल्किलऐन्थ्राक्विनॉलकेस्वतःऑक्सीकरणद्वाराकियाजाताहै।

2 एथिलऐन्थ्राक्विनॉल⇌O2 (वायु ) | H2/Pd ⇌ H2O2 + 2 एथिलऐन्थ्रेक्विनॉन

हाइड्रोजन परॉक्साइ के भौतिक गुण

  1. शुद्धअवस्थामेंहाइड्रोजनपरॉक्साइडलगभगरंगहीन (अतिहल्कानीला) द्रवहोताहै।
  2. H2O2कागलनांक4K तथाक्वथनांक 423K होताहै।
  3. 298K परइसकाघनत्व44 gm-3होताहैजोकिजलकेघनत्वसेअधिकहैतथा 290K परइसकीश्यानता 1.25 सेन्टीपॉयजहोतीहै।
  4. H2O2जलकेसाथप्रत्येकअनुपातमेंमिश्रणीयहोताहै।तथायह H2O2.H2O (हाइड्रेट) बनालेताहैजिसकाक्वथनांक 221K होताहै।
  5. H2O2केपरावैद्युतांककामान 298K पर7 C2/N.m2 होताहै।

H2O2 के रासायनिक गुण

H2O2 के रासायनिक गुण निम्नलिखित हैं

  1. अपघटन:- शुद्धहाइड्रोजनपरॉक्साइडअस्थायीहोताहैअतःयहधीरे-धीरेअपघटितहोकरजलतथाऑक्सीजनदेताहै।यहप्रक्रमऊष्माक्षेपीहोताहै।

2H2O2 – → 2H2O + O2

  1. ऑक्सीकारक गुण
    अम्लीय माध्यम में:-हाइड्रोजनपरॉक्साइडफैरस, आयन  Fe2+) कोफैरिकऑयन (Fe3+) मेंलैडसल्फाइड (PbS) कोलैडसल्फेट (PbSO4) में ,I को I2 मेंतथाफेरोसायनाइडआयनकोफेरीसायनाइडआयनमेंऑक्सीकृतकरदेताहै।

क्षारीय माध्यम में :- H2O2 , Fe2+ को Fe3+ मेंतथा Mn2+ को Mn4+ मेंऑक्सीकृतकरताहै।

  1. अपचायक गुण

अम्लीय माध्यम में – H2O2 , MnO4 को Mn2+ तथा HOCl को Cl एवं O2 मेंअपचयितकरदेताहै।

क्षारीय माध्यम में – H2O2 , I2 को I मेंतथा MnO4 को MnO2 मेंअपचयितकरदेताहै

हाइड्रोजन परॉक्साइड (H2O2) के उपयोग

  1. दैनिक जीवन में H2O2 का उपयोग मंद कीटनाशी तथा बालों के विरंजन में किया जाता है।
  2. पूतिरोधी ( Antiseptic ) के रूप में यह बाजार में ‘परहाइड्रॉल‘ (Perhydrol) नाम से प्रयुक्त होता है।
  3. इसका उपयोग सोडियम परबोरेट तथा सोडियम परकार्बोनेट के निर्माण में किया जाता है, ये यौगिक उच्च कोटि के अपमार्जकों में प्रयोग किए जाते हैं।
  4. उद्योगों में H2O2 का उपयोग वस्त्रों, कागज की लुगदी, चमड़ा, तेल, वसा आदि के लिए विरंजन कारक के रूप में किया जाता है।
  5. H2O2 का उपयोग हाइड्रोक्यूनोन, टार्टरिक अम्ल, खाद्य उत्पादों तथा औषधियों (सिफैलोस्पोरिन) के संश्लेषण में भी किया जाता है।
  6. इसे दूध, शराब इत्यादि के परिरक्षण में प्रयुक्त किया जाता है।

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अभ्यास (पृष्ठ संख्या294-296)

प्रश्न1 हाइड्रोजन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर आवर्त सारणी में इसकी स्थिति को युक्तिसंगत ठहराइए।

उत्तर-हाइड्रोजन एक विशिष्ट तत्व है, जो आवर्त सारणी के वर्ग 1 की क्षार धातुओं तथा वर्ग 17 के हैलोजेन गैसों के गुण प्रदर्शित करता है। इस दोहरे गुण के कारण हाइड्रोजन की आवर्त सारणी में स्थिति विवादास्पद बनी हुई है।

हाइड्रोजन के दोहरे व्यवहार का कारण इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है। हाइड्रोजन s ब्लॉक की प्रथम तत्व है। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s’ है अर्थात् हाइड्रोजन परमाणु के बाहरी कोश, जो पहला कोश भी है, में केवल एक इलेक्ट्रॉन है। हाइड्रोजन एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर H+ आयन या धनायन अर्थात् प्रोटॉन दे सकता है और एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके H आयन या ऋणायन बना सकता है।

में उपर्युक्त तथ्य से आवर्त सारणी में इसकी स्थिति निम्नलिखित बिन्दुओं से समझी जा सकती है-

हाइड्रोजन की क्षार धातुओं (वर्ग 1 के तत्वों से समानता)

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)–इलेक्ट्रॉनिकविन्याससमानहैऔरइनकेअन्तिमकोशमेंएकइलेक्ट्रॉन s-1 है।

​​​​​​​1H = 1s1 11Na = 1s2,2s2 2p6,3s1

  1. विद्युतधनात्मकगुण (Electropositive character)एकइलेक्ट्रॉनत्यागकरधनायनदेतेहैं।इसव्यवहारकोइसतथ्यसेप्रबलसमर्थनमिलताहैकिजबअम्लीकृतजलकोविद्युत-अपघटनकियाजाताहैतोकैथोडपरहाइड्रोजनमुक्तहोतीहै।इसीप्रकारगलितसोडियमक्लोराइडकेविद्युतअपघटनपरकैथोडपरसोडियम, (क्षारधातु) मुक्तहोतीहै।
  • ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation state)-हाइड्रोजनतथाक्षारधातुअपनेयौगिकोंमें +1 ऑक्सीकरणअवस्थादर्शातेहैं। उदाहरणार्थ- HCl, NaCl आदि।
  1. रासायनिक बन्धुता (Chemical affinity)-हाइड्रोजनतथाक्षारधातुएँविद्युतधनात्मकप्रकृतिकेहोतेहैं।अतःइनमेंविद्युत-ऋणीतत्वोंकेप्रतिबन्धुतापाईजातीहैअर्थात्येतीव्रतासेइनकेसाथसंयोगकरतेहैं।

उदाहरणार्थ-

सोडियमकेयौगिक– Na2P, NaCl, Na2S

हाइड्रोजनकेयौगिक– H2O2 HCl, H2S

​​​​​​​क्षारधातुओंसेअसमानता (Dis-similarities with Alkali Metals)

हाइड्रोजन क्षार धातुओं से भिन्नता भी दर्शाता है। इनका वर्णन निम्नवत है

  1. क्षारधातुएँप्रारूपिकधातुएँ (typical metals) होतीहैं, जबकिहाइड्रोजनएकअधातुहै।
  2. हाइड्रोजनद्विपरमाणुक (diatomic) होतीहै, जबकिक्षारधातुएँएकपरमाणुकहोतीहैं।
  • क्षारधातुओंकीआयननऊर्जा (सोडियमकीआयननऊर्जा = 496 kJ mol-1) हाइड्रोजन (1312 kJ mol-1) कीतुलनामेंबहुतकमहोतीहै।
  1. हाइड्रोजनकेयौगिकसामान्यतःसहसंयोजकहोतेहैं (जैसे-HCI, H2O आदि), जबकिक्षारधातुओंकेयौगिकसामान्यत: आयनिकहोतेहैं (जैसे-NaCI, KF आदि)

प्रश्न2हाइड्रोजन के समस्थानिकों के नाम लिखिए तथा बताइए कि इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात क्या है?

उत्तर-हाइड्रोजन तीन समस्थानिकों के रूपों में पाया जाता है। इनके नाम प्रोटियम , ड्यूटीरियम  तथा ट्राइटियम  हैं। इन समस्थानिकों का द्रव्यमान अनुपात निम्नवत् है-

प्रश्न3सामान्य परिस्थितियों में हाइड्रोजन एक परमाण्विक की अपेक्षा द्विपरमाण्विक रूप में क्यों पाया जाता है?

उत्तर-हाइड्रोजनकाइलेक्ट्रॉनिकविन्यास 1s1 है।इसमें He (Helium) कीभाँतिस्थायीइलेक्ट्रॉनिकविन्यासप्राप्तकरनेकेलियेएकइलेक्ट्रॉनकीकमीहोतीहै।इसलिए, यह He कीभाँतिस्थायीइलेक्ट्रॉनिकविन्यासप्राप्तकरनेकेलियेदूसरेहाइड्रोजनपरमाणुसेएकइलेक्ट्रॉनकासाझाकरतीहै।तथाद्विपरमाणविक H2(H—H) अणुबनातीहै।

प्रश्न4’कोल गैसीकरण’ से प्राप्त डाइहाइड्रोजन का उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है?

उत्तर-कोल गैसीकरण, वह प्रक्रिया है जिसमें रक्त तप्त कोयले की अभिक्रिया 1270K पर जल भाप से (Bosch Process) की जाती है।

Syngas (water gas) Syngas मिश्रण में उपस्थित कार्बन मोनोऑक्साइड से जल वाष्प की अभिक्रिया कर H2 का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इसमें FeCrO4 उत्प्रेरक की भाँति कार्य करता है।

यह water gas shift reaction कहलाती है। मिश्रण से कार्बन डाइऑक्साइड को सोडियम आर्सेनाइट विलयन में प्रवाहित कर अलग किया जा सकता है।

प्रश्न5विद्युत-अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन वृहद् स्तर पर किस प्रकार बनाई जा सकती है? इस प्रक्रम में विद्युत-अपघट्य की क्या भूमिका है?

उत्तर-विद्युत-अपघटन विधि द्वारा डाइहाइड्रोजन का निर्माण (Formation of Dihydrogen by electrolytic process)- सर्वप्रथम शुद्ध जल में अम्ल तथा क्षारक की कुछ बूंदें मिलाकर इसे विद्युत का सुचालक बना लेते हैं। अब इसका विद्युत-अपघटन (वोल्टामीटर में) करते हैं। जल के विद्युत-अपघटन से ऋणोद (कैथोड) पर डाइहाइड्रोजन और धनोद (ऐनोड) पर ऑक्सीजन (सहउत्पाद के रूप में) एकत्रित होती है। ऐनोड तथा कैथोड को एक ऐस्बेस्ट्स डायफ्राम की सहायता से पृथक्कृत कर दिया जाता है जो मुक्त होने वाली हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन को मिश्रित नहीं होने देता।

इस प्रकार प्राप्त डाइहाइड्रोजन पर्याप्त रूप से शुद्ध होती है।

विद्युत-अपघट्य की भूमिका (Role of electrolyte)- शुद्ध जल विद्युत-अपघट्य नहीं होता और न ही विद्युत का चालक होता है। शुद्ध जल में अम्ल या क्षार की कुछ मात्रा मिलाकर इसे, विद्युत अपघट्य बनाया जाता है।

प्रश्न6निम्नलिखित समीकरण को पूरा कीजिए-

उत्तर-

प्रश्न7डाइहाइड्रोजन की अभिक्रियाशीलता के पदों में H-H बन्ध की उच्च एन्थैल्पी के परिणामों की विवेचना कीजिए।

उत्तर-H-H बन्ध की उच्च एंथैल्पी (435.88kJ-mol-1) के कारण, डाइहाड्रोजन सामान्य तापमान पर अधिक क्रियाशील नहीं है। लेकिन उच्च ताप अथवा उत्प्रेरक की उपस्थिति में यह अधिक क्रियाशील हो जाती है तथा अनेक तत्त्वों के साथ बड़ी संख्या में यौगिकों का निर्माण करती है।

प्रश्न8हाइड्रोजन के

  1. इलेक्ट्रॉन न्यून,
  2. इलेक्ट्रॉन परिशुद्ध तथा
  • इलेक्ट्रॉन समृद्ध

यौगिकों से आप क्या समझते हैं। उदाहरणों द्वारा समझाइए।

उत्तर-हाइड्रोजनकेजिनयौगिकोंमेंपारम्परिकलूइससंरचनाकेलियेआवश्यकइलेक्ट्रॉनोंसेकमइलेक्ट्रॉनउपस्थितहोतेहैं, उन्हेंइलेक्ट्रॉनन्यूनयौगिककहाजाताहै, जैसे-B2H6।जिनयौगिकोंमेंपारम्परिकलूइससंरचनाकेअनुरूपपर्याप्तइलेक्ट्रॉनहोतेहैं, उन्हेंइलेक्ट्रॉनपरिशुद्धयौगिककहाजाताहै, जैसे- CH4, C2H4Si2H6 आदि।जिनयौगिकोंमेंएकलयुग्मोंकेरूपमेंइलेक्ट्रॉनउपस्थितहोतेहैं, उन्हेंइलेक्ट्रॉनसमृद्धयौगिककहाजाताहै, जैसे-

प्रश्न9संरचना एवं रासायनिक अभिक्रियाओं के आधार पर बताइए कि इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड के कौन-कौन से अभिलक्षण होते हैं?

उत्तर-

  1. इलेक्ट्रॉन न्यून  हाइड्रोइड (electron-deficient hydrides)- केपासइतनेइलेक्ट्रॉननहींहोतेकिवहसामान्यसहसंयोजक (covalent bond) बनासकें।इसलिए, इलेक्ट्रॉनकीकमीकोपूरीकरनेकेलियेयेबहुलकअवस्थामेंपायेजातेहैं, जैसे- B2H6 B4H10,(AlH3)n इत्यादि।
  2. इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण इलेक्ट्रॉनन्यूनहाइड्राइडलूइसअम्लोंकीतरहव्यवहारकरतेहैंऔरलूइसबेसकेसाथजटिलों (complexes) कोनिर्माणकरतेहैं।जैसे-
  • इलेक्ट्रॉनों की कमी के कारण- इलेक्ट्रॉन न्यून हाइड्राइड बहुत अधिक अभिक्रियाशील होते हैं। और अनेक धातुओं, अधातुओं और यौगिकों के साथ अभिक्रिया करते हैं। जैसे,

प्रश्न10 क्याआपआशाकरतेहैंकि (CnH2n+2) कार्बनिकहाइड्राइडलूइसअम्लयाक्षारकीभॉतिंकार्यकरेंगे? अपनेउत्तरकोयुक्तिसंगतठहराइए।

उत्तर-नहीं, कार्बनके CnH2n+2 प्रकारकेहाइड्राइडलूइसअम्लयालूइसबेसकीभाँतिकार्यनहींकरते।ऐसाइसलियेहोताहै, क्योंकिइनमेंआवश्यकसहसंयोजकबन्धबनानेकेलिएसहीसंख्यामेंइलेक्ट्रॉनउपस्थितहोतेहैं।अतःइनमेंनतोइलेक्ट्रॉनकीकमीहोतीहैऔरनहीएकलयुग्मकेरूपमेंइलेक्ट्रॉनकीअधिकता।इसलिएयेलूइसअम्लवलूइसबेसकीतरहव्यवहारनहींकरते।

प्रश्न11अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड (non-stoichiometric hydride) से आप क्या समझते हैं? क्या आप क्षारीय धातुओं से ऐसे यौगिकों की आशा करते हैं? अपने उत्तर को न्यायसंगत ठहराइए।

उत्तर-वह हाइड्राइड जिसमें धातु और हाइड्रोजन का अनुपात भिन्नात्मक होता है, अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड कहलाता है। क्षार धातु अरससमीकरणमितीय हाइड्राइड नहीं बनाते। क्षार धातुओं के संयोजी कोश में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है। हाइड्राइड के निर्माण के समय, क्षार धातु अपना संयोजी (valence) इलेक्ट्रॉन जुड़ने वाले H परमाणु (approching Hatom) को दे देता है। जिसमें H परमाणु H आयन में बदल जाता है और क्षार धातु एक धन आवेश युक्त धनायन बनाती है। इसलिए, जो हाइड्राइड क्षार धातुओं द्वारा बनाये जाते हैं वे आयनिक होते हैं। चूंकि H आयन का निर्माण इलेक्ट्रॉन के क्षार धातु से हाइड्रोजन परमाणु पर पूर्ण स्थानान्तरण द्वारा होता है, इस कारण निर्मित हाइड्राइड हमेशा अरसमीकरणमितीय होगा, अर्थात् धातु तथा हाइड्रोजन का अनुपात हमेशा निश्चित होगा। इसी कारण क्षार धातु से बने हाइड्राइड हमेशा सूसमीकरणमितीय (stoichiometric) होते हैं।

प्रश्न12हाइड्रोजन भण्डारण के लिए धात्विक हाइड्राइड किस प्रकार उपयोगी है? समझाइए।

उत्तर-धातु हाइड्राइडों विशेष रूप से Ni, Pd, Ce तथा Ac के हाइड्राईडों में हाइड्रोजन धातु जालक के छिद्रों (interstices) में समा जाती है। Pd, Pt आदि धातु काफी अधिक मात्रा में हाइड्रोजन को समावेशित कर सकते हैं। इसलिये उनका उपयोग हाइड्रोजन के भण्डारण में किया जा सकता है।

प्रश्न13कर्तन और वेल्डिंग में परमाण्वीय हाइड्रोजन अथवा ऑक्सी हाइड्रोजन टॉर्च किस प्रकार कार्य करती है? समझाइए।

उत्तर-

  1. परमाण्वीय हाइड्रोजन टॉर्च में, दो टंगस्टन इलेक्ट्रॉड के बीच आण्विक हाइड्रोजन में विद्युत स्फुलिंग (विद्युत आर्क) प्रवाहित की जाती है। स्फुलिंग की ऊर्जा आण्विक हाइड्रोजन (H2) को परमाण्वीय हाइड्रोजन (H) में वियोजित कर देती है जैसा नीचे दिखाया गया है।

हाइड्रोजन परमाणु 0.3 सेकण्ड के पश्चात् आपस में जुड़कर H2 अणु का निर्माण करते हैं। इस प्रक्रिया में बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा (4300-5300K) उत्पन्न होती है, जो कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (welding) प्रक्रियाओं में उपयोग होती है। इस टार्च की विशेषता यह है कि H2 की उपस्थिति, के कारण धातु का ऑक्सीकरण नहीं होता।

  1. ऑक्सी-हाइड्रोजन टार्च में, आणविक हाइड्रोजन (H2) को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप तीव्र गर्म ज्वाला (intensely hot flame) उत्पन्न होती है। इस टार्च का कर्तन (cutting) और वेल्डिंग (weldirag) प्रक्रियाओं में उपयोस होता है।

प्रश्न14NH3, H2O तथा HF में से किसका हाइड्रोजन बन्ध का परिमाण उच्चतम अपेक्षित है और क्यों?

उत्तर-HF का, क्योंकि F एक सर्वाधिक विद्युत ऋणात्मक (most electrenegative) तत्त्व है। उच्च विद्युत ऋणात्मकता (electronegativity) के कारण, यह H – F के साझे के इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है जिससे H पर धनात्मक आवेश उत्पन्न हो जाता है जिसका परिमाण NH3 और H2O में उत्पन्न हुए आवेश से अधिक होता है।

प्रश्न15लवणीय हाइड्राइड जल के साथ प्रबल अभिक्रिया करके आग उत्पन्न करती है। क्या इसमें CO2 (जो एक सुपरिचित अग्निशामक है) का उपयोग हम कर सकते हैं? समझाइए।

उत्तर-लवणीय हाइड्राइड (saline hydrides) पानी के साथ प्रबल रूप में अभिक्रिया करते हैं तथा डाइहाइड्रोजन (H2) उत्पन्न करता है जो आग पकड़ लेती है, जैसे-

इस प्रकार की आग को बुझाने हेतु अग्निशामक (extinguish) के रूप में रेत (sand) का प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न16निम्नलिखित को व्यवस्थित कीजिए-

  1. CaH2, BeH2, तथा TiH2, कोउनकीबढ़तीहुईविद्युतचालकताकेक्रममें।
  2. LiH, NaH तथा CsR को आयनिक गुण के बढ़ते हुए क्रम में।
  • H-H, D-D तथा F-F को उनके बन्ध-वियोजन एन्थैल्पी के बढ़ते हुए क्रम में।
  1. NaH, MgH2तथा H2O कोबढ़तेहुएअपचायकगुणकेक्रममें।

उत्तर-

  1. BeH2< CaH2 < TiH2

BeH2 एकसहसंयोजीहाइड्राइटहैजोविद्युतधाराप्रवाहितनहींकरताहै। CaH2 संलयित, अवस्थामेंविद्युतचालकहैजबकि TiH2 कमरेकेतापपरविद्युतकाचालकहै।

  1. LiH < NaH < CsH

LiH आंशिकसहसंयोजकप्रवृत्तिकाहोताहैऔर Na कीविद्युतऋणात्मकता Cs सेअधिकहै।अत: CsH मेंआयनिकगुणसबसेअधिकहै, जबकि LiH मेंसबसेकम।

  • F-F < H-H < D-D

F2 में, F परमाणु के एकल इलेक्ट्रॉन युग्म तथा F-F आबन्ध के आबन्ध युग्म के बीच प्रतिकर्षण होता है। इसलिए F-F की बन्ध वियोजन एंथैल्पी सबसे कम होती है।

D परमाणु H परमाणु से छोटा है। इसलिए, D-D आबन्ध की आबन्ध वियोजन एंथैल्पी (bond dissociation enthalpy) सबसे अधिक होती है।

  1. H2O < MgH2< NaH

H2O और MgH2 सहसंयोजकहाइड्राइडहैं।उच्चआबन्धवियोजनऊर्जा (high bond dissociation energy) केकारण H2O काअपचायकगुण MgH2 सेकमहै। NaH एकलवणीयहाइड्राइड (saline hydride) हैऔरइसकाअपचायकगुण H2O और MgH2 सेअधिकहै।

प्रश्न17H2O तथा H2O2 कीसंरचनाओंकीतुलनाकीजिए।

उत्तर-जल-अणु की सरंचना (Structure of Water Molecule)-गैस-प्रावस्था में जल एक बंकित (bent) अणु है। आबन्ध कोण तथा O-H आबन्ध दूरी के मान क्रमशः 104.5º तथा 95.7pm हैं, जैसा चित्र (a) में प्रदर्शित किया गया है। अत्यधिक ध्रुवित अणु चित्र (b) में तथा चित्र (c) में जल के अणु में ऑर्बिटल अतिव्यापन दर्शाया गया है।

अत्यधिक ध्रुवित अणु चित्र (b) में तथा चित्र (c) में जल के अणु में ऑर्बिटल अतिव्यापन दर्शाया गया है।

हाइड्रोजन परॉक्साइड अणु की संरचना (Structure of Hydrogen peroxide Molecule) हाइड्रोजन परॉक्साइड की संरचना असमतलीय होती है। गैसीय प्रावस्था तथा ठोस प्रावस्था में इसकी आण्विक संरचना को चित्र (c)में दर्शाया गया है।

प्रश्न18जल के स्वतः प्रोटोनीकरण से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्त्व है?

उत्तर-जल का स्वतः प्रोटोनीकरण वास्तव में इसका स्वत: आयनन है जो निम्न प्रकार से सम्पन्न होता है-

जल का स्वत: प्रोटोनीकरण जल को उभयधर्मी (amphoteric) बनाता है। इसलिए, जल अम्ल और क्षार दोनों की तरह क्रिया करता है।

जल अपने से प्रबल अम्ल के साथ अभिक्रिया करने पर क्षार की तरह व्यवहार करता है और अपने से प्रबल क्षार से अभिक्रिया करने पर अम्ल की तरह व्यवहार करता है। जैसे-

प्रश्न19F2 के साथ जल की अभिक्रिया में ऑक्सीकरण तथा अपचयन के पदों पर विचार कीजिए एवं बताइए कि कौन-सी स्पीशीज ऑक्सीकृत/ अपचयित होती है।

उत्तर-

अतः इसअभिक्रियामेंजल (water) अपचायकहैक्योंकियहऑक्सीकृतहोकर O2 देताहै। F2 अपचयितहोकर F आयनदेतीहैइसलिएयहऑक्सीकारकहै।

प्रश्न20निम्नलिखितअभिक्रियाओंकोपूर्णकीजिए

  1. PbS(s) + H2O2(aq) →
  2. MnO4(aq) + H2O2(aq) →
  • CaO(s) + H2O(g) →
  1. AlCl3(g) + H2O(l) →
  2. Ca3N2(s) + H2O(l) →

उपर्युक्त्त को

  1. जल-अपघटन,
  2. अपचयोपचय (redox) तथा
  3. जलयोजन

अभिक्रियाओं में वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर-

  1. PbS(s) + 4H2O2(aq) – PbSO4 (s) + 4H2O(l) (अपचयोपचयअभिक्रिया)
  2. 2MnO4(aq) + 5H2O2 (aq) + 6H+ (aq) → 2Mn2+ (aq) + 8H2O(l) + 5O2(g) (अपचयोपचयअभिक्रिया)
  • CaO(s) + H2O(g) + Ca(OH)2(aq) (जलयोजनअभिक्रिया)
  1. AlCl3(g) + 3H2O(7) → Al(OH)3 (s) + 3HCl (aq) (जल-अपघटनअभिक्रिया)
  2. Ca3N2(s) + 6H2O(l) → 3Ca(OH)2 (aq) + 2NH3 (aq) (जल-अपघटनअभिक्रिया)

प्रश्न21बर्फ के साधारण रूप की संरचना का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-बर्फ की संरचना (Structure of Ice)- बर्फ एक अतिव्यवस्थित, त्रिविम, हाइड्रोजन आबन्धित संरचना (highly ordered, three dimensional, hydrogen bonded structure) है जिसे निम्नांकित चित्र में दर्शाया गया है।

X-किरणों द्वारा परीक्षण से पता चला है कि बर्फ क्रिस्टल में ऑक्सीजन परमाणु चार अन्य हाइड्रोजन परमाणुओं से 276pm दूरी पर चतुष्फलकीय रूप से घिरा रहता है।

हाइड्रोजन आबन्ध बर्फ में वृहद् छिद्र (wide holes) एक प्रकार की खुली संरचना बनाते हैं। ये छिद्र उपयुक्त आकार के कुछ दूसरे अणुओं को अन्तराकाश में ग्रहण कर सकते हैं। उपर्युक्त चित्र में दर्शाए बर्फ की संरचना से स्पष्ट है कि प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु चार हाइड्रोजन परमाणुओं से घिरा हुआ है जिनमें दो प्रबल सहसंयोजी आबन्ध (ठोस रेखा द्वारा प्रदर्शित) से तथा दो दुर्बल हाइड्रोजन आबन्धों (बिन्दुदार रेखा से प्रदर्शित) से जुड़े हुए हैं। चूंकि हाइड्रोजन बन्ध (177pm) सहसंयोजी आबन्धों (95.7pm) से लम्बे हैं; अतः जल-अणु क्रिस्टल जालक में निविड-संकुलित (closely packed) नहीं होते।

प्रश्न22जल की अस्थायी एवं स्थायी कठोरता के क्या कारण हैं? वर्णन कीजिए।

उत्तर-अस्थायी कठोरता (Temporary hardness)- अस्थायी कठोरता जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के हाइड्रोजन कार्बोनेट की उपस्थिति के कारण होती है। इसे उबालकर दूर किया जा सकता है। स्थायी कठोरता (Permanent hardness)-स्थायी कठोरता जल में विलेयशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के क्लोराइड तथा सल्फेट के रूप में घुले रहने के कारण होती है। यह उबालने से दूर नहीं की जा सकती है।

प्रश्न23संश्लेषित आयन विनिमयक विधि द्वारा कठोर जल के मृदुकरण के सिद्धान्त एवं विधि की विवेचना कीजिए।

उत्तर-संश्लेषित आयनविनिर्मयकविधि (Synthetic lon-Exchange Method) संश्लेषितआयनविनिमयकविधिद्वाराजलमेंविद्यमानकठोरताकेलिएउत्तरदायीआयनोंकोउनअन्यआयनोंद्वाराप्रतिस्थापितकरदियाजाताहैजोजलकीकठोरताकेलिएउत्तरदायीनहींहोते।इसविधिमेंदोप्रकारकेआयनविनिमयकप्रयोगकिएजातेहैं

  1. अकार्बनिक आयन विनिमयक: परम्यूटिट विधि (Inorganic lon-Exchanger: Permutit Method)

इसविधिको‘जियोलाइट/ परम्यूटिटविधि’भीकहतेहैं।यहव्यापारिकमात्रामेंकठोरजलकोमृदुकरनेकीविधिहै।इसविधिमेंसोडियमजियोलाइटकाप्रयोगकियाजाताहै।यहवास्तवमेंसोडियमऐलुमिनियमसिलिकेटनामकपदार्थहै।इसकासूत्र Na2 Al2pSi2O8 है।यहयातोप्राकृतिकरूपसेप्राप्तहोताहैअथवाइसेसोडेकीराख (Na2CO3), सिलिका (SiO2) तथाऐलुमिना (Al2O3) केमिश्रणसेकृत्रिमरूपसेबनायाजासकताहै।इसमिश्रणकेसंगलितपदार्थकोजलसेधोकरशेषबचेछिद्रितपदार्थकोहीपरम्यूटिटकहतेहैं।सरलताकीदृष्टिसेऐलुमिनियमसिलिकेटअथवाजियोलाइटआयन (Al2Si2O8) केस्थानपर‘Z’लिखकरसोडियमजियोलाइटको Na2Z सूत्रद्वाराप्रदर्शितकियाजाताहै।परम्यूटिटविधिसेदोनोंप्रकारकीकठोरतादूरकरसकतेहैं।सोडियमजियोलाइटमेंउपस्थितसोडियमलवणोंकायहगुणहैकियेअन्यआयनोंद्वाराविस्थापितहोजातेहैं।

  1. कार्बनिक आयन  विनिमयकसंश्लेषित रेजिन विधि (Organic lon-Exchanger: Synthetic Resin Method)

आजकलइसआधुनिकविधिकाप्रयोगकाफीहोरहाहै।परम्यूटिटकेवलउनलवणकेधनायनों (Ca2+ व Mg2+) कोहटाताहैजोजलकोकठोरबनातेहैं।कार्बनिकरसायनज्ञोंनेकुछविशेषपदार्थविकसितकिएहैं, इन्हेंआयनविनिमयकरेजिन (ion-exchanger resins) कहतेहैं।येलवणमेंउपस्थितऋणायनोंकोभीहटासकतेहैंजोधनायनोंकीभाँतिहीजलकीकठोरताकेलिएउत्तरदायीहोतेहैं।इसविधिसेजलकेमृदुकरणमेंनिम्नलिखितदोप्रकारकीरेजिनप्रयोगकीजातीहै-

  1. ऋणायनविनिमय क रेजिन (Anion-exchanger resins)- वेरेजिनऋणायनविनिमयकरेजिनकहलातेहैंजिनमेंहाइड्रोकार्बनसमूहकेसाथक्षारीयसमूह -OH अथवा -NH2 जुड़ेरहतेहैंजिन्हें -OH रेजिनकेरूपमेंप्रदर्शितकियाजाताहै।
  2. धनायनविनिमय करे जिन (Cation-exchanger resins)- येहाइड्रोजनसमूहहीहैंजिनकेसाथअम्लीयसमूह; जैसे- -COOH या -SO3H समूहजुड़ेरहतेहैंतथाइन्हेंधनायनविनिमयकरेजिन (H+ रेजिन) कहतेहैं।

धनायनरेजिन, जलकीकठोरताकेउत्तरदायीधनायनोंकाविनिमयकरतेहैं, जबकिऋणायनरेजिन, कठोरताकेलिएउत्तरदायीऋणायनोंकोहटातेहैं।
इसमेंएकटंकीकोएकरेजिन R सेलगभगआधाभरकरउसमेंऊपरसेजलप्रवाहितकरतेहैं।रेजिनधनायनोंकोअवशोषितकरलेताहैतथाटंकीसेबाहरनिकलनेवालेजलमेंकैल्सियमऔरमैग्नीशियमधनायननहींहोते; अत: जलमृदुहोजाताहै।यहजलअलवणीकृतजलयाअनआयनीकृतजल (demineralised water or deionised water) कहलाताहै।

कठोर जल में उपस्थित लवणों के ऋण विद्युती आयन, रेजिन R+ के अमोनियम आयनों (NH+4) से संयुक्त हो जाते हैं।

प्रश्न24जल के उभयधर्मी स्वभाव को दर्शाने वाले रासायनिक समीकरण लिखिए।

उत्तर-जलकीउभयधर्मीप्रकृति (Amphoteric nature of water)- जलअम्लतथाक्षारकदोनोंरूपोंमेंव्यवहारकरताहै।अतःयहउभयधर्मीहै।ब्रान्स्टेडअवधारणाकेसन्दर्भमेंजल NH, केसाथअम्लकेरूपमेंतथा H2S केसाथक्षारककेरूपमेंकार्यकरताहै-

H2O(l) + NH3(aq) → OH(aq) + NH+4(aq) …..(i)

H2O(l) + H2S(aq) → H2O+(aq) + HS(aq) ……(ii)

जलअपनेसेप्रबलअम्लोंकेसाथक्षारककीभाँतिव्यवहारकरताहै; जैसे- उपर्युक्तअभिक्रिया (ii) मेंदर्शायागयाहै।इसमेंजल-अणु H2S सेएकप्रोटॉनग्रहणकरके H3O+आयनबनाताहै।अभिक्रिया (i) मेंजल-अणुएकप्रोटॉनकात्यागकरताहै। NH3 अणुइसप्रोटॉनकोग्रहणकरके NH+4 आयनबनाताहै।

प्रश्न25हाइड्रोजन परॉक्साइड के ऑक्सीकारक एवं अपचायक रूप को अभिक्रियाओं द्वारा समझाइए।

उत्तर-हाइड्रोजन परॉक्साइड के अपघटन के दौरान ऑक्सीकरण-अवस्था परिवर्तन निम्नवत् दर्शाया। जा सकता है-

चूँकि H2O2 मेंउपस्थितऑक्सीजनपरमाणुओंकीऑक्सीकरणसंख्यामेंवृद्धितथाकमीदोनोंहोतीहैं; इसलिएयहअपचायकतथाऑक्सीकारकदोनोंकीभाँतिकार्यकरसकताहै।इसेनिम्नलिखितअभिक्रियाओंद्वारासमझाजासकताहै-

अम्लीयमाध्यममें H2O2 ऑक्सीकारककेरूपमें-

अम्लीयमाध्यममें H2O2 अपचायक केरूपमें-

क्षारीय माध्यममें H2O2 ऑक्सीकारककेरूपमें-

क्षारीय माध्यममें H2O2 अपचायककेरूपमें-

प्रश्न26विखनिजित जल से क्या अभिप्राय है? यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है?

उत्तर-वहजलजोसभीविलेयशीलखनिजअशुद्धियोंसेपूर्णतयामुक्तहो, विखनिजितजल (demineralised water) कहलाताहै।दूसरेशब्दोंमें, धनायनों (Ca2+, Mg2+ आदि) तथाऋणायनों (Cl, SO2-4, HCO3 आदि) सेपूर्णतयाविमुक्तजलविखनिजितजलकहलाताहै।विखनिजितजलकोआयन-विनिमयकरेजिनविधिसेप्राप्तकियाजाताहै।इसविधिकेअन्तर्गतआयन-विनिमयकरेजिनोंद्वाराजलमेंउपस्थितसभीधनायनोंतथाऋणायनोंकोहटादियाजाताहै।इसकेलिएसर्वप्रथमकठोरजलकोधनायनविनिमयपरिवर्तक (रेजिनयुक्त) मेंप्रवाहितकियाजाताहै, जहाँ -SO3H तथा -COOH समूहोंवालेविशालकार्बनिकअणु (रेजिन), Na+, Ca2+, Mg2+ तथाअन्यधनायनोंकोहटाकर H+ आयनोंकोप्रतिस्थापितकरदेतेहैं।इसप्रकारप्राप्तजलकोपुन: ऋणायनविनिमयपरिवर्तकसेगुजाराजाताहै, जहाँ -NH2 समूहवालेविशालकार्बनिकअणु (रेजिन) Cl, SO2-4, HCO3 आदिऋणायनोंकोहटाकर OH आयनोंकोप्रतिस्थापितकरदेतेहैं।

जलकेउत्तरोत्तरधनायन-विनिमयक (H+ आयनकेरूपमें) तथाऋणायन-विनिमयक (OH) केरूपमें) रेजिनसेप्रवाहितकरनेपरशुद्धविखनिजिततथाविआयनितजलप्राप्तकियाजाताहै।

प्रश्न27क्या विखनिजित या आसुत जल पेय-प्रयोजनों में उपयोगी है? यदि नहीं तो इसे उपयोगी कैसे बनाया जा सकता है?

उत्तर-विखनिजित या आसुत जल पीने के लिए उपयोगी नहीं है क्योंकि यह स्वादहीन होता है तथा इसमें मानव स्वास्थ्य लिए आवश्यक खनिज पदार्थ विद्यमान नहीं होते। इसमें निश्चित मात्रा में आवश्यक खनिज पदार्थ मिलाकर इसे पीने योग्य बनाया जा सकता है।

प्रश्न28जीवमण्डल एवं जैव-प्रणालियों में जल की उपादेयता को समझाइए।

उत्तर-जल एक अत्यन्त आवश्यक शारीरिक द्रव (vital body fluid) है और जीवन के सभी रूपों के लिए आवश्यक है। हाइड्रोजन आबन्ध (hydrogen bonding) के कारण इसके क्वथनांक (boiling point), हिमांक (freezing point), संलयन ऊष्मा (heat of fusion) और वाष्पन की ऊष्मा (heat of vaporisation) सामान्य मानों से काफी अधिक होते हैं।

जल के असामान्य भौतिक गुण जैव मण्डल में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जल के वाष्पीकरण की उच्च ऊष्मा तथा इसकी ऊष्मा ग्रहण करने की उच्च क्षमता वातावरण पर जल के मृदुल प्रभाव और जीवित प्राणियों के शरीर के ताप नियन्त्रण के लिए उत्तरदायी है।

जल का क्वाथनांक उच्च होने के कारण यह सामान्य ताप पर द्रव अवस्था में रहता है, अन्यथा पृथ्वी पर जल द्रव अवस्था में शेष ही नहीं रहता। जल एक बहुत अच्छा (excellent) विलायक है। कुछ सहसंयोजक कार्बनिक यौगिक जैसे ऐल्कोहॉल और कार्बोहाइड्रेट, जल (H2O) अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाते हैं जिस कारण ये जल में घुल जाते हैं। अपनी उत्तम विलायक क्षमता के कारण जल पौधों और प्राणियों में होने वाले उपापचयी क्रियाओं के लिए आवश्यक आयनों व अणुओं के परिवहन में सहायता करता है। अतः जल जैव मण्डल और जैविक तन्त्र के लिए अति आवश्यक है।

प्रश्न29जल का कौन-सा गुण इसे विलायक के रूप में उपयोगी बनाता है? यह किस प्रकार के यौगिक-

  1. घोल सकता है और
  2. जल-अपघटन कर सकता है?

उत्तर-जल का डाइइलेक्ट्रिक स्थिरांक (78.39) तथा द्विध्रुव आघूर्ण (1.84D) उच्च होते हैं। इन गुणों के कारण, जल एक उत्तम विलायक (excellent solvent) है जो अकार्बनिक और अनेक सहसंयोजक यौगिकों (जैसे- ऐल्कोहॉल, अम्ल, कार्बोहाइड्रेट आदि) को घोल सकता है। यही कारण है कि जल एक सार्वत्रिक विलायक (universal solvent) कहा जाता है। यह आयनिक यौगिकों को आयन-द्विध्रुव अन्तराकर्षण (ion-dipole interaction) और सहसंयोजक यौगिकों को हाइड्रोजन आबन्ध के कारण घोल देता है। जल बहुत से ऑक्साइड, हाइड्राइड, कार्बाइड, नाइट्राइड, फॉस्फाइड आदि को जल अपघटित (hydrolyse) कर सकता है।

प्रश्न30H2O एवं D2O केगुणोंकोजानतेहुएक्याआपमानतेहैंकि D2O काउपयोगपेय-प्रयोजनोंकेरूपमेंकियाजासकताहै?

उत्तर-D2O पेय-प्रयोजनों हेतु उपयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह जहरीला होता है। यह पौधों की वृद्धि (growth) को मन्द कर देता है। यद्यपि यह एक कीटाणुनाशक व जीवाणुनाशक है, फिर भी यह पेय-प्रयोजनों के रूप में उपयोग नहीं होता क्योंकि सामान्य जल में भारी जल की अधिक मात्रा उसे विषैली बनाती है।

प्रश्न31‘जल-अपघटन’ (hydrolysis) तथा ‘जलयोजन’ (hydration) पदों में क्या अन्तर है?

उत्तर-जल-अपघटन से जल के H+ तथा OH आयन लवण के क्रमश: ऋणायन तथा धनायन से क्रिया कर मूल अम्ल तथा मूल क्षार (original base) का निर्माण करते हैं। जैसे-

जलयोजन (hydration) में जल (H2O), लवण के अणु अथवा आयनों के साथ जुड़कर जलयोजित लवण (hydrated salt) या जलयोजित आयन (hydrated ion) बनाता है।

प्रश्न32लवणीय हाइड्राइड किस प्रकार कार्बनिक यौगिकों से अति सूक्ष्म जल की मात्रा को हटा सकते हैं?

उत्तर-लवणीयहाइड्राइड (जैसे- NaH, CaH2) कमरेकेतापपरजलसेअभिक्रियाकरकेउनकेहाइड्रॉक्साइडबनातेहैंतथा H2 गैसनिकालतेहैं।इसगुणकेकारणइनकाउपयोगकार्बनिकयौगिकोंसेजलकीअतिसूक्ष्ममात्रानिकालनेमेंकियाजाताहै।जिसकार्बनिकयौगिककोशुद्धकरनाहोताहै।उसेएकलवणीयहाइड्राइडकेसाथआसवितकियाजाताहै H2 वायुमण्डलमेंनिष्कासितहोजातीहै।औरधात्विकहाइड्रॉक्साइडफ्लास्कमेंशेषरहजाताहै।जलरहितकार्बनिकयौगिकआसवितहो।जाताहै।

प्रश्न33परमाणु क्रमांक 15, 19, 23 तथा 44 वाले तत्व यदि डाइहाइड्रोजन से अभिक्रिया कर हाइड्राइड बनाते हैं तो उनकी प्रकृति से आप क्या आशा करेंगे? जल के प्रति इनके व्यवहार की तुलना कीजिए।

उत्तर-

  1. तत्त्वजिसका Z = 15 है, फॉस्फोरस (एकधातु) है।यहएकसहसंयोजकहाइड्राइड PH; बनताहै।
  2. तत्त्वजिसका Z = 19 हैपोटैशियम (एकक्षारधातु) है।यहएकलवणीयहाइड्राइड (saline | hydride) K+Hबनाताहै।
  • तत्त्वजिसका Z = 23 है, वेनेडियम (एकसंक्रमणधातु) है।यहएकधात्विकहाइड्राइड VH0.56बनाताहै।
  1. तत्त्वजिसका Z = 44 है, रथनियम (एकसमूह-8-तत्त्व) है।यहकोईहाइड्राइडनहींबनाताहै।उपर्युक्तसभीहाइड्राइडोंमेंसेपोटैशियमहाइड्राइडजलसेअभिक्रियाकरताहैजैसानीचेदिखायागयाहै।

2KH(s) + 2H2O(l) → 2KOH(aq) + 2H2(g)

प्रश्न34जब ऐलुमिनियम (III) क्लोराइड एवं पोटैशियम क्लोराइड को अलग-अलग

  1. सामान्य जल,
  2. अम्लीय जल एवं
  • क्षारीय जल से अभिकृत कराया जाएगा तो। आप किन-किन विभिन्न उत्पादों की आशा करेंगे? जहाँ आवश्यक हो, वहाँ रासायनिक समीकरण दीजिए।

उत्तर-पोटैशियम क्लोराइड (KCI) प्रबल क्षार और अम्ल से बना लवण है। साधारण जल में यह अपने संघटक आयनों में विघटित हो जाता है। इस प्रक्रम में कोई जल-अपघटन नहीं होता है।

KCI का जलीय विलयन उदासीन होता है। इसलिए यह अम्लीय जल में अथवा क्षारीय जल में कोई अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करता है।

प्रश्न35H2O2 विरंजनकारककेरूपमेंकैसेव्यवहारकरताहै? लिखिए।

उत्तर-H2O केविरंजकगुणकाकारणइसकेअपघटनसेउत्पन्नहोनेवालीनवजातऑक्सीजन

H2O2 → H2O + [O]

नवजातऑक्सीजन (nascent oxygen) रंगीनपदार्थोंकोरंगहीनउत्पादोंमेंऑक्सीकृतकरदेतीहै।

रंगीनपदार्थ + [O] →रंगहीन

इसप्रकार, H2O2 काविरंजकगुणरंगीनपदार्थोंकेनवजातऑक्सीजनद्वाराऑक्सीकरणकेकारणहै।इसकाउपयोगरेशम, वॉल, लकड़ी, सूतीवस्त्रआदिकेविरंजककेरूपमेंकियाजाताहै।

प्रश्न36निम्नलिखित पद से आप क्या समझते हैं?

  1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था
  2. हाइड्रोजनीकरण
  • सिन्गैस
  1. भाप अंगार गैस सृति अभिक्रिया तथा
  2. ईंधन सेल

उत्तर-

  1. हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था (Hydrogen Economy)

हम सभी जानते हैं कि कोयला तथा पेट्रोलियम सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाले ईंधन हैं, परन्तु ये संसाधन अत्यन्त तीव्र दर से समाप्त होते जा रहे हैं तथा आगामी भविष्य में उद्योग तथा परिवहन इससे बहुत अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त ये संसाधन मानव-स्वास्थ्य के प्रति भी अत्यन्त हानिकारक हैं, क्योंकि ये वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। इनके दहन के फलस्वरूप उत्पन्न अनेक विषाक्त गैसे-कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड वायुमण्डल में मिल जाती हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए वैकल्पिक ईंधनों की खोज सदैव होती रही है। इस सन्दर्भ में भावी विकल्प ‘हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था’ है।

  1. हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation)

असंतृप्त कार्बनिक यौगिक हाइड्रोजन से सीधे संयोग करके संतृप्त यौगिक बनाते हैं, यह अभिक्रिया हाइड्रोजनीकरण कहलाती है। यह अभिक्रिया उत्प्रेरक की उपस्थिति में होती है तथा इन अभिक्रियाओं से अनेक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक हाइड्रोजनीकृत उत्पाद प्राप्त होते हैं।

वनस्पति तेलों का हाइड्रोजनीकरण (Hydrogenation of Vegetable Oils) -473K पर निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में वनस्पति तेलों, जैसे- मूंगफली के तेल, बिनौले के तेल में हाइड्रोजन गैस प्रवाहित करने पर तेल ठोस वसाओं, जिन्हें वनस्पति घी कहा जाता है,

  • सिन्गैस (Syngas)

हाइड्रोकार्बन अथवा कोक की उच्च ताप पर एवं उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से अभिक्रिया कराने पर डाइहाइड्रोजन प्राप्त होती है।

  1. भापअंगार गैस सृति अभिक्रिया (Water gas Shift reaction)

सिन्गैस में उपस्थित कार्बन मोनोक्साइड की आयरन क्रोमेट उत्प्रेरक की उपस्थिति में भाप से क्रिया कराने पर डाइहाइड्रोजन का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है-

यह ‘भाप-अंगार गैस सृति अभिक्रिया’ (water gas shift reaction) कहलाती है। वर्तमान में लगभग 77 प्रतिशत डाइहाइड्रोजन का औद्योगिक उत्पादन शैल रसायनों (petro-chemicals), 18 प्रतिशत कोल, 4 प्रतिशत जलीय विलयनों के विद्युत-अपघटन तथा 1 प्रतिशत उत्पादन अन्य स्रोतों से होता है।

  1. ईंधन सेल (Fuel Cell)

वह युक्ति जो ईंधन की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है, ईंधन सेल कहलाती है। आजकल डाइहाइड्रोजन का प्रयोग ईंधन सेलों में विद्युत-उत्पादन के लिए किया जाता है।

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