अपोहन
जैसा हमने कोलाइडी विलयन क्या है वाले अध्याय में पढ़ा था।कि किसी जंतु झिल्ली से क्रिस्टला भकण सरलता से गति कर जाते हैं।एवं कोलाइडी कण इस झिल्ली में से गमन नहीं कर पाते हैं।अतःजंतु झिल्ली के इस गुण के कारण ही इसे कोलाइडी विलयन के शुद्धिकरण में प्रयोग किया जाता है।इसी आधार पर अपोहन को परिभाषित किया जा सकता है।
“पार्चमेंट झिल्ली के द्वारा कोलाइडी विलयन में से अशुद्धियों को अलग करने की विधि अपोहन कहलाता हैं।”अपोहन विधि में पार्चमेंट झिल्ली, एक थैला (बैग) चित्रानुसार ऊंचाई से जल के टैंक में लटका दिया जाता हैं।इस बैग में उपस्थित अशुद्धियां झिल्ली से बाहर निकलकर जल के साथ बह जाती हैं। एवं बैग में शुद्ध कोलाइडी विलयन रह जाता है।
विद्युतअपोहन
इस विधि में अपोहन की विधि से कम समय लगता है इस में पार्चमेंट झिल्ली के दोनों और इलेक्ट्रोड लगा देते हैं।जब इलेक्ट्रोडों द्वारा विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है।तो बैग में उपस्थित अशुद्धियां इलेक्ट्रोडों की ओर तेजी से आकर्षित होकर जल के साथ बह जाती हैं।तथा शुद्ध कोलाइडी विलयन रह जाता है।यह प्रक्रिया विद्युत अपोहन कहलाती है।