बेंजीन हेक्साक्लोराइड (BHC)
बेंजीन हेक्साक्लोराइड (Benzene Hexachloride – BHC) एक महत्वपूर्ण कार्बनिक यौगिक है, जिसका आणविक सूत्र C₆H₆Cl₆ होता है। इसे सामान्यतः हेक्साक्लोरोसाइक्लोहेक्सेन (Hexachlorocyclohexane – HCH) भी कहा जाता है। यह यौगिक कृषि तथा औषधीय क्षेत्र में लंबे समय से प्रयोग किया जाता रहा है। इसके विभिन्न समावयवी (Isomers) पाए जाते हैं, जिनमें गामा समावयवी (γ-isomer) सबसे अधिक सक्रिय तथा उपयोगी है। यही गामा समावयवी लिंडेन (Lindane) के नाम से जाना जाता है।
बनाने की विधि (Preparation)
बेंजीन हेक्साक्लोराइड का निर्माण बेंजीन (C₆H₆) के क्लोरीनीकरण (Chlorination) द्वारा किया जाता है। यह अभिक्रिया सामान्य परिस्थितियों में नहीं होती, बल्कि इसके लिए पराबैंगनी प्रकाश (UV light) अथवा सूर्य का प्रकाश आवश्यक होता है।
अभिक्रिया समीकरण:
C6H6 + 3Cl2 → C6H6Cl6
इस अभिक्रिया में बेंजीन की रिंग पर क्लोरीन जुड़कर छह प्रकार के समावयवी (Isomers) का निर्माण करती है –
α-BHC
β-BHC
γ-BHC
δ-BHC
ε-BHC
और अन्य मिश्रण इनमें से गामा-BHC (γ-BHC) ही कीटनाशक गुणों वाला होता है।
भौतिक गुण (Physical Properties)
- अवस्था: यह एक सफेद क्रिस्टलीय ठोस (white crystalline solid) होता है।
- गंध: इसमें एक प्रकार की सीली मिट्टी जैसी अप्रिय गंध होती है।
- विलेयता: पानी में बहुत कम विलेय, लेकिन कार्बनिक विलायकों (जैसे एथेनॉल, ईथर, क्लोरोफॉर्म) में विलेय होता है।
- गलनांक: लगभग 112° C से 115° C।
- घुलनशीलता: पानी में बहुत कम, परंतु वसा एवं तेलों में घुलकर जीवों के ऊतकों में संग्रहित हो जाता है।
- स्थायित्व: यह पर्यावरण में लंबे समय तक स्थिर बना रहता है।
रासायनिक गुण (Chemical Properties)
यह एक क्लोरीन युक्त यौगिक है, जो आसानी से अपघटित नहीं होता।
अत्यधिक लिपोफिलिक (वसा में घुलनशील) होने के कारण यह जीवों की चर्बी में जमा हो जाता है।
उच्च तापमान पर यह अपघटित होकर HCl और अन्य उपोत्पाद छोड़ सकता है।
उपयोग (Uses of BHC)
- कृषि क्षेत्र में (In Agriculture):
फसलों को कीटों से बचाने के लिए यह एक शक्तिशाली कीटनाशक (Insecticide) है।
इसका उपयोग धान, गेहूँ, कपास, गन्ना और अन्य खाद्य व नकदी फसलों में किया जाता रहा है।
यह दीमक (termites), टिड्डी, मच्छर, मक्खी और कई अन्य कीटों को नष्ट करता है।
- चिकित्सा क्षेत्र में (In Medicine):
γ-BHC या लिंडेन का उपयोग त्वचा रोगों जैसे खुजली (Scabies) और जुओं (Lice) को मारने के लिए लोशन और शैम्पू के रूप में किया जाता है।
कुछ विशेष रोगों के उपचार में भी इसका प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है।
- गृहस्थी में (In Household):
पहले इसे घर के कीटों जैसे मच्छर, चींटी और कॉकरोच को मारने के लिए प्रयोग किया जाता था।
हानिकारक प्रभाव (Harmful Effects)यद्यपि BHC उपयोगी है, किंतु इसके दुष्प्रभाव गंभीर हैं।
- मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव:लंबे समय तक संपर्क होने पर चक्कर, उल्टी, सिरदर्द और त्वचा में जलन हो सकती है।
यह तंत्रिका तंत्र (Nervous System) को प्रभावित करता है, जिससे कंपकंपी, दौरे और मानसिक अस्थिरता हो सकती है।यह यकृत (Liver) और गुर्दे (Kidneys) को भी नुकसान पहुँचाता है।
अधिक मात्रा में संपर्क से कैंसरकारी (Carcinogenic) प्रभाव भी देखे गए हैं।
- पशुओं पर प्रभाव:
यह पशुओं की चर्बी और दूध में जमा हो जाता है।
दूध और माँस के माध्यम से यह मनुष्यों तक पहुँच सकता है।
- पर्यावरण पर प्रभाव:
यह पर्यावरण में बहुत लंबे समय तक बना रहता है (Persistent Organic Pollutant)।
यह जैव आवर्धन (Bio-magnification) द्वारा खाद्य श्रृंखला (Food Chain) में ऊपर तक पहुँच जाता है।
मछलियों, पक्षियों और जलीय जीवों के लिए यह अत्यधिक विषैला है।
प्रतिबंध और नियंत्रण (Ban and Regulation)
BHC का अत्यधिक प्रयोग इसके हानिकारक प्रभावों के कारण कई देशों में प्रतिबंधित (Banned) या सीमित (Restricted) किया जा चुका है।
भारत सहित अनेक देशों ने इसके उपयोग को नियंत्रित किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने भी इसे हानिकारक प्रदूषक घोषित किया है।
निष्कर्ष (Conclusion)
बेंजीन हेक्साक्लोराइड (BHC) एक प्रभावी कीटनाशक है, जिसने कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। लेकिन इसके दीर्घकालिक दुष्प्रभाव – जैसे मानव स्वास्थ्य पर खतरा, पशुओं पर प्रभाव और पर्यावरण प्रदूषण – इसे खतरनाक बनाते हैं। इसलिए आज विश्वभर में इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है और इसके स्थान पर कम विषैले, जैव-अनुकूल कीटनाशकों को अपनाने की दिशा में कार्य हो रहा है।