कार्बन का अपरूप (Allotropes of Carbon)
कार्बन (Carbon) एक अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है जो पृथ्वी पर जीवन का आधार है। यह आवर्त सारणी के समूह 14 में पाया जाता है और इसका परमाणु क्रमांक 6 है। कार्बन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसकी संधिसंयोजन क्षमता (Catenation) है, अर्थात् यह स्वयं के साथ और अन्य तत्वों के साथ लंबे श्रृंखला (chain) या रिंग संरचनाएं बना सकता है। इस कारण यह असंख्य कार्बनिक यौगिकों (organic compounds) के निर्माण में सक्षम है।
कार्बन की एक और अनूठी विशेषता यह है कि यह विभिन्न अपरूपों (allotropes) में पाया जाता है। किसी तत्व के वे विभिन्न रूप जिनमें परमाणु एक ही होते हैं, लेकिन उनका व्यवस्थित ढांचा (arrangement) या बंधन शैली (bonding style) भिन्न होती है, उन्हें अपरूप कहा जाता है। कार्बन के कई अपरूप पाए जाते हैं, जिनमें मुख्यतः हीरा (Diamond), ग्रेफाइट (Graphite), फुलरीन (Fullerene), कार्बन नैनोट्यूब (Carbon Nanotubes) और ग्राफीन (Graphene) प्रमुख हैं।
1. हीरा (Diamond)
हीरा कार्बन का सबसे कठोर और पारदर्शी अपरूप है। इसमें प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य कार्बन परमाणुओं से सहसंयोजक (covalent) बंध के द्वारा जुड़ा होता है। इस त्रि-आयामी (3D) जालक संरचना के कारण हीरा अत्यधिक कठोर होता है और ऊष्मा का अच्छा संवाहक (good conductor of heat) लेकिन विद्युत का कुचालक (insulator) होता है।
भौतिक गुण – रंगहीन, पारदर्शी, अत्यधिक कठोर (मोस् पैमाने पर 10), उच्च अपवर्तकांक।
उपयोग – आभूषणों में, काटने और पॉलिश करने के औजारों में, लेजर एवं वैज्ञानिक उपकरणों में।
2. ग्रेफाइट (Graphite)
ग्रेफाइट कार्बन का एक अपरूप है जिसमें कार्बन परमाणु षट्कोणीय (hexagonal) परतों में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक परत में कार्बन परमाणु तीन अन्य कार्बन परमाणुओं से जुड़ा होता है, जबकि चौथा इलेक्ट्रॉन मुक्त (delocalized) रहता है। इन परतों के बीच कमजोर वान डर वाल्स बल होता है, जिसके कारण परतें आसानी से खिसक सकती हैं।
भौतिक गुण – काला, अपारदर्शी, नरम और विद्युत का अच्छा चालक।
उपयोग – पेंसिल की नोंक (lead), स्नेहक (lubricant), इलेक्ट्रोड, बैटरी और परमाणु रिएक्टरों में।
3. फुलरीन (Fullerene)
फुलरीन कार्बन का वह अपरूप है जिसमें 60, 70 या अधिक कार्बन परमाणु फुटबॉल जैसी खोखली संरचना बनाते हैं। इसका सबसे प्रसिद्ध रूप C₆₀ है, जिसे “बकी बॉल” (Buckyball) कहते हैं। इसमें कार्बन परमाणु पाँच और छह भुजाओं वाले छल्लों में व्यवस्थित होते हैं।
गुण – यह विद्युत चालक, हल्का और उच्च तापमान पर स्थिर रहता है।
उपयोग – औषधि वितरण प्रणाली (drug delivery), सुपरकंडक्टर, नैनो-प्रौद्योगिकी और लुब्रिकेंट्स में।
4. ग्राफीन (Graphene)
ग्राफीन कार्बन का एक परमाणु मोटाई वाली एकल परत होती है, जिसमें परमाणु षट्कोणीय जाल (honeycomb structure) में व्यवस्थित होते हैं। यह अत्यंत मजबूत, हल्का और लचीला होता है। इसकी खोज के लिए 2010 का नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
गुण – अत्यधिक विद्युत चालक, पारदर्शी और लचीला।
उपयोग – उच्च गति वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, लचीली डिस्प्ले, ऊर्जा भंडारण उपकरणों में।
5. कार्बन नैनोट्यूब (Carbon Nanotubes)
ये ग्राफीन की परतों को सिलेंडर के रूप में लपेटकर बनी संरचनाएं होती हैं। ये अत्यंत मजबूत, हल्के और उत्कृष्ट विद्युत चालक होते हैं।
उपयोग – नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स, सुपरकंडक्टर, ऊर्जा भंडारण, अंतरिक्ष यान और आधुनिक खेल उपकरणों में।
निष्कर्ष
कार्बन के अपरूप अपनी संरचना, गुण और उपयोगों में एक-दूसरे से भिन्न होते हुए भी हमारे जीवन और तकनीकी विकास में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। कार्बन की बहुरूपता (allotropy) ही इसे रसायन और प्रौद्योगिकी की दुनिया में सबसे विशेष बनाती है।