द्रव्य
हमारे आस-पास स्थित सभी वस्तुएँ द्रव्य से बनी होती हैं अत : वह वस्तु जिसका द्रव्यमान होता है तथा जो स्थान घेरती है उसे द्रव्य कहते हैं।
उदाहरण–पेन, पुस्तक, वायु,जीव- जन्तु इत्यादि द्रव्य,छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना होता है
- द्रव्य की भौतिक अवस्था निश्चितन हीं होती है तथा ताप और दाब के परिवर्तन द्वारा इन्हें एक – दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है।
- ठोस को गरम करने पर वह द्रव में तथा द्रव को गरम करने पर वह गैसीय अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
- इसके विपरीत गैस को ठंडाकर ने पर वह द्रव में परिवर्तित हो जाती है और इसे अधिक ठंडा करने पर यह ठोस में परिवर्तित हो जाता है।
द्रव्य का वर्गीकरण
द्रव्य का वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है
(i) भौतिक अवस्था के आधार पर।
(ii) संघटन के आधार पर।
(i).भौतिक अवस्था के आधार पर :-भौतिक अवस्था के आधार पर द्रव्य तीन प्रकार का होता है ठोस,द्रव तथा गैस।
1.ठोस:-द्रव्य की ठोस अवस्था में कण अत्यधिक निकट तथा क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित रहते हैं तथा इनकी गतिशीलता नगण्य होती है।ठोसों का आयतन तथा आकार निश्चित होता है तथा सामान्यत ये कठोर एवं दृढ़ होते हैं जिनका घनत्व अधिक होता है। उदाहरण,साधारण नमक, लकड़ी पेन्सिल
2.द्रव:-द्रवों में अवयवी कण ठोसों की अपेक्षा कुछ अधिक दूरी पर होते हैं तथा ये गति कर सकते हैं द्रव का आयतन निश्चित होता है, परन्तु इनका आकार निश्चित नहीं होता है तथा ये उसी पात्र का आकार ग्रहण कर लेते हैं, जिसमें इन्हें रखा जाता है।द्रवों का घनत्व ठोसों तुलना में कम होता है तथा इनमें अन्तरा अणुक आकर्षण बल कम होता है।द्रवों में तरलता का गुण भी पाया जाता है क्योंकि इनके अणु अव्यवस्थित होते हैं।द्रवों में अणुओं की गतिज ऊर्जा,ठोसों की अपेक्षा अधिक होती है। उदाहरण,तेल, जल, दूध तथा ऐल्कोहॉल
3.गैस :-ठोसों तथा द्रवों की अपेक्षा गैसों में अवयवी कण बहुत दूर – दूर होते हैं।ये आसानी से तथा तेजी से गति कर सकते हैं।गैसों का आयतन तथा आकार निश्चित नहीं होता तथा ये उस पात्र के आयतन में पूरी तरह फैल जाती हैंजिसमें इन्हें रखा जाता है, जिसके कारण कणों के मध्य अधिकांश स्थान रिक्त रहता है, अतः इनकी सम्पीड्यता अधिक होती है।गैसों में अणुओं के मध्य आकर्षण बल नगण्य होता है तथा इनमें अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक होती है। उदाहरण,ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाइऑक्साइड गैस तथा वायु
(ii) संघटन के आधार पर :- संघटन के आधार पर द्रव्य को मिश्रण तथा शुद्ध पदार्थ में वर्गीकृत किया जाता है लेकिन इन्हें पुनः उपवर्गों में विभाजित किया जाता है
शुद्ध पदार्थ
शुद्ध पदार्थों का संघटन निश्चित होता है तथा इनके घटकों को सामान्य भौतिक विधियों द्वारा पृथक नहीं किया जा सकता उदाहरण, सोना, चाँदी, लोहा, जल, शर्करा तथा ग्लूकोस।ग्लूकोस में कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन एक निश्चित अनुपात में होते हैं।शुद्ध पदार्थों को पुनः तत्त्वों तथा यौगिकों में वर्गीकृत किया जाता है
तत्त्व
वह पदार्थ जिसमें उपस्थित सभी कण (परमाणु, अणुयाआयन) एक ही प्रकार के होते हैं, उसे तत्त्व कहते हैं।उदाहरण – सोडियम, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, चाँदी तथा ताँबा इत्यादि।इन सभी में एक ही प्रकार के परमाणु उपस्थित होते हैं, परन्तु विभिन्न तत्त्वों के परमाणु एक -दूसरे से भिन्न होते हैं।सोडियम अथवा ताँबे जैसे कुछ तत्त्वों में एकल परमाणु उपस्थित होते हैं, जबकि अन्य तत्त्वों में दो या अधिक परमाणु मिलकर अणु बनाते हैं, जैसे – हाइड्रोजन, नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन गैसों में अणु उपस्थित होते हैं, जो इनके दो – दो परमाणुओं से मिलकर बने होते हैं।तत्त्व धातु, अधातु या उपधातु हो सकते हैं।
यौगिक
जब भिन्न – भिन्न तत्त्वों के दो या दो से अधिक परमाणु संयोजित होकर अणु बनाते हैं तो उसे यौगिक कहते हैं। यौगिकों का संघटन निश्चित होता है तथा इनके घटक तत्त्वों को रासायनिक विधियों द्वारा पृथक किया जा सकता है।
मिश्रण
मिश्रण वे होते हैं जिनमें दो या दो से अधिक पदार्थ किसी भी अनुपात में उपस्थित हो सकते हैं तथा उनका संघटन भिन्न हो सकता है। हमारे आस-पास उपस्थित अधिकांश पदार्थ मिश्रण हैं।मिश्रण में उपस्थित विभिन्न घटकों को विभिन्न भौतिक विधियों द्वारा पृथक किया जाता है ।जैसे – छानना, आसवन, क्रिस्टल इत्यादि। उदाहरण–हवा, जल तथा शर्करा का मिश्रण, नमक तथा शर्करा का मिश्रण
मिश्रण दो प्रकार के होते हैं –समांगी तथा विषमांगी।
- समांगी मिश्रण :- समांगी मिश्रण में उपस्थित घटक एक – दूसरे में पूर्ण तया मिश्रित होते हैं तथा पूरे मिश्रण का संघटन एक समान होता है। उदाहरण – जल में चीनी का विलयन, ‘हवा‘ तथा ऐल्कोहॉल व जल का मिश्रण।
- विषमांगी मिश्रण :-विषमांगी मिश्रण का संघटन सम्पूर्ण मिश्रण में एक समान नहीं होता है अर्थात्न इन का संघटन असमान होता है तथा कभी – कभी तो विषमांगी मिश्रण के घटक पृथक दिखाई भी देते हैं। उदाहरण–चीनी तथा नमक, दाल तथा कंकड़ एवं तेल तथा जल का मिश्रण।