जैव विविधिता क्या है ?संपूरण नोट्स

हेलों मेरे प्यारे दोस्तों आज हम इस आर्टिकल में हम आपको जैव विविधता  क्या है? जैव विविधता  क्या होता है तथा जैव विविधता  के प्रकार क्या होते हैं इसके बारे में बताएंगे। इसके साथ साथ हम आपको जैव विविधता  के उदाहरण क्या होते हैं? इसके बारे में बताएँगे। यह एक महत्वपूर्ण टॉपिक है जैव विविधता  क्या है? इस टॉपिक के बारे में अधिकतर परीक्षाओं में प्रश्न पूछ लिए जाते हैं। इसलिए इस टॉपिक के बारे में biology विषय से सम्बंधित छात्रों को पता होना अनिवार्य है।इससे पिछले आर्टिकल में हमने आपको  इसके बारे में विस्तार के साथ बताया। एक बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक है इसलिए इस टॉपिक के बारे में आपको पता होना चाहिए। यदि आपने अभी तक यह टॉपिक के बारे में नहीं पढ़ा है तो आप हमारी इस वेबसाइट से जैव विविधता के बारे में पढ़ सकते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको जैव विविधता  क्या है? उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं। तो बिना किसी देरी किए सबसे पहले जानते हैं जैव विविधता  क्या है?

जैव विविधता क्या है?

  • जैव विविधता हो शब्दों से मिलकर बना है जैविक तथा विविधता ।
  • जैव विविधता शब्द का प्रयोग पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी प्राणियों और पौधे से है।
  • मनुष्य लम्बे समय से जैव विविधता का महत्व समझता रहा है।
  • जैव विविधता वनों में पाए जाने वाले पेड़-पौधे और जंतुओ से लेकर खेती की फसलो में तथा पालतू जानवरों मे मौजूद है।
  • इस जैव विविधता का संरक्षण रखना मनुष्य के पृथ्वीपर जीवित होने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
  • जैव विविधता का संरक्षण विश्व के सभी देशो के सामूहिक जिम्मेदारी है।

नामकरण (Nomenclatures)

  • जीवों के समूह का नामाकरण अन्तराष्ट्रीय स्तर पर दिया गया है। पौधों का नामाकरण वनस्पति नामाकरण भी अन्तराष्ट्रीय नियमावली के आधार पर दिया गया है । उसी प्रकार जन्तुओं का भी नामाकरण किया गया है।

नामाकरण में दो नाम होता है

  •  साधारण नाम और वैज्ञानिक नाम
  • जैसे :-आलू = साधारण नाम (Solanum tuberosum),वैज्ञानिक नाम  माटर साधारण नाम (Lycoperoicum esculentum= वंश जाति ताज्ञानिकन)

पहचान (Identification)

  • किसी भी जीव का पहचान उसके स्थान से होता है। सबसे पहले सजीव के उचित स्थान की जानकारी की जाती है और तब उसके बाद उसके गुण और विशेषता की जानकारी की जाती है। उसके गुण के आधार पर उसे वर्गीकृत करते है। अतः पहचानने का मुख्य आधार स्थान होता है।

द्वि-नाम पद्धति(Binomial nomenclature)

  • किसी भी पौधे का वैज्ञानिक नाम दो शब्दो से  मिलकर बना क्षेत्र है जिसमें पहला शब्द वंश और दूसरा शब्द जाति होता है।जैसे:-Solanum  tuberosum सोलेनम शब्द पहला शब्द है, जो पंश के अंतर्गतआता है तथा ट्यूबरोसम दूसरा शब्द है जो जाति के अंतर्गतआता है। अत: वंश और जाति मिलाकर द्विनाम पद्धति बनाता है। यह पूरे विश्व में प्रचलित होता है।

वर्गीकरण (Classification)

  • किसी भी जीव का वर्गीकरण उसके नामाकरण और पहचान पर की गई है। इसमें हमलोग जीवों के विभिन्न लक्षण को देखकर उसे वर्गीकरण करते हैं। जैसे हमलोग पौधा और जन्तुओं को आसानी से बाँट देते है। जन्तु के अंतर्गत कुत्ता, बिल्ली, घोडा , गाय , आदि आते है । जबकि पौधों के लिए सरसो, अड्हुल, गुलाब, धान, मक्का, गेहू इत्यादि ।

टैक्सोनॉमिक कोटि (Taxonomic categories

Kingdom (जगत)

Division (विभाण

Class (वर्ग )

Order  (क्रम)

family (कूल)

Genous (वंश)

 Species (जाति)

जाति (Species)

  • यह जैविक वर्गीकरण का सबसे आधारीय ईकाई है। जिसे जाति कहते है।इसमें अनेक प्रकार के जन्तु और पौधे प्रतिनिध्त्व करते है। यह द्विनाम पद्धतिका भी आधारीय भाग है। इसकी वंशागत एक ही होती है। अथात् यह सबसे नीचे का कोटी है।Example  :-  Homo(वंश )Species(जाति) (मानव ),Passium(वंश ) Sativum( जाति )   (मटर )

वंश

  • जीनस से संबंधित स्पेसोज समूह है। वर्गीकरण में जीनस का बहुत महत्वपूर्णता है। यह जाति से ऊपर और कूल के नीचे होते हैं। बहुत सारी जातिया मिलकर एक वंश का निर्माण करती है। Ex:-Mangifera (वंश )   Indica(आम) इसके अंतर्गत35 जातियाँ होती है।

कूल(family)

  • सुमान गुण वाले सभी वंश को एक कुल मे रखते है । जैसे आलू , टमाटर, बैगन , इत्यादि ये एक ही कुल  सोलेनेसी में रखा गया है। इसका स्थान वंश के ऊपर क्रम के नीचे होता है। जंतु में उदाहरण के लिए शेर, बाघ, तेन्दुआ को (Panthera) पँजेरा में एखा गया है।

क्रम (Order)

  • समान गुण वाले कुलो को एक ही क्रम (Order) में रखा जाता है। जैसे : बिल्ली, कुत्ता और शेर इत्यादि को एक ही क्रम(order) कार्निवोरा में रखा गया है। इसका स्थान कूल ऊपर तथा वर्ग के नीचे होता है ।

वर्ग (Class)

  • सगान गुण वाले क्रम (order) को एक वर्ग में रखा जाता है। जैसे बंदर, गोरिला, आदि को एक ही क्लास (वर्ग) में रखा गया है। जबिक शेर, कुत्ता, बिल्ली को Mammalia में रखा गया है। इसका स्थान order (वर्ग ) के उपर तथा  संघ (Division)के नीचे रखा गया है।

 संघ (Phyllium)

  • सामान गुण वाले वर्ग (class) को एक ही संध में रखा जाता है। जैसे:- मछली, मेढ़क, साँप, छिपकली, पक्षी तथा स्तनधारी जन्तु को कॉर्डाटा (Cordeta) में रखा गया है। इसका स्थान वर्ग के उपर और किंगडम के नीचे आता है।

 जगत (kingdom)

  • सामान्य संघ और विभाग को एक उच्च कोटि Kingdom में रखा जाता है। जन्तु (animal) को लिए animal तथा plant (पौधों) के लिए Plant होता है। इसमें शैवाल, प्रायोफाइटा टेरिडोफाइय, जिम्नोस्पर्म तथा एन्जियो स्पर्म में  वर्गीकृत किया गया है। इसका स्थान सबसे उच्च कोटि पर होता है।

Taxonomic aids (औजार)

वानस्पतिक उद्यान (Botanical Garden)

  • यह उद्यान वह स्थान है जहाँ पर पौधों को जीवित अवस्था में किसी सुरक्षित स्थान में लगया जाता है।
  • यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पेड, पौधा, झाडी इत्यादि पौधों को लगया जाता है।
  • इसका उद्देश्य है कि पौधों को जोवित अवस्था में रखना, उसे व्यवस्थित बनाए रखना तथा पहचान के लिए नेम प्लेट लगाना ।
  • इंडियन बोटैनिल गार्डन वानस्पतिक हावड़ा कलकत्ता, राष्ट्रीय अनुसंधान, लखनऊ ।

प्राणी- उद्यान (zoological Party)

  • इस उद्यान में वन्य जीव  प्राणियों को सुरक्षित स्थान तथा पिंजरों  में रखा जाता है।
  • इस उद्यान के कर्मचारी वन्य जीव प्राणी को प्रकृतिक आवास देने का प्रयास करते है।
  • उद्यान के कर्मचारी जानवरो का पिंजडे के पास साधारणनाम तथा वैज्ञानिक नाम का  लगता है ।
  • वैसाजन्तु जिसकी जाति विलुप्त हो रहा है उसे प्रज्जन्न करवाता है।
  • जन्तुओं का व्यवहार, जंगली व्यवहार से विभिन्न  हो सकता है।

 अभ्यारण्य (Sanctuary)

  • यह प्राकृतिक पर्यायवरण वाला स्थान है।
  • इसमें प्राणियों को सुरक्षित रखने का प्रबंध होता है।
  • इसमेंप्राणी जगत कीरक्षा की जाती हैऔर निजी मालिकाना अधिकार किया जाता है।
  • इसमें लकड़ी कारना तथा वन्य उत्पादी को इक्कठा करानि को आज्ञा दी जाती है लेकिन जन्तुओं को किसी प्रकार का हानि ना हो।
  • जानवरों को पकडना, उसे मारना तथा उसे शिकार करने पर प्रतिबंद लगा होता है ।

प्राकृतिक संध्रालय (Natural Museum)

  • संध्रालय में संरक्षित पौधे तथा जंतुओं को संग्रह करके अध्ययन के लिए रखा जाता है।
  • यहाँ पर शिक्षण संस्थान के द्वारा छात्रा और छात्राएं अध्ययन के लिए जाते हैं।
  • पौधों को हरबोरियम के रूप में तथा कुछ ऐसे पौधो को शिशे केजार मे फॉरमेलिन के घोल में रखा जाता है।
  • किट -पतंगों को किट – बाक्स में संरक्षित किया जाता है।
  • बडे नमुनो जैसे पंक्षी, स्तन धारी, प्राणी को स्टकड अवस्था में रखा जाता है।
  • इसमें जंतुओं के कंकाल पत्रे भी सुरक्षित रखा जाता है।
  • संध्रालय (Museum) भ्रमण (visiting) का भी स्थान है।

हरबोरियम (Herbarium)

  • हरबेरियम में सूखे पौधों को हरबेरियम सिट पर चिपका कर संग्रह किया जाता है।
  • पौधों को सूखाने के लिए उन्हें हरबेरियम प्रेस में दबाया जाता है।
  • उसके बाद उस पौधो को हरबेरियम के कागज के सिट पर चिपकाया जाता है।
  • इस नमुनो में पौधों के बारे में पूर्ण जानकारी अंकित कर दिया जाता है।
  •  इसमें पौधे का वानस्पतिक नाम, स्थानीय  नाम (family), क्रम , वर्ग  तथा जमा करने की तिथि अंकित किया जाता है।
  • सेन्ट्रल नेसनल हरबेरियम (1873- हावडा कलकत्ता में है )।

वर्गीकी कुंजी (Taxonomic key)

  • जीवों की पहचान उनके गुणो के आधार पर बनाई गई कुंजी द्वारा कर सकते हैं।
  • कुंजी पौधों  और जंतुओं के सामान और असमान गुणो के आधार पर बनाई जाती है।
  • कुंजी एक एसी विधि है जो, जिससे हरेक प्रकार के जीव की पहचान की जा सकती है।
  • कुंजी दो विपरित लक्षण पर आधारित है:- टपलेर और लिड । उसमें एक स्वीकार किया गया और दूसरे को अस्वीकार ।
  • इस पुस्तक (बुक) में पौधों की सभी  गुण वर्णित है जिसे अध्ययन करके किसी भी पौधे का वंश और जाति ज्ञात किया जाता है।

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