क्रिस्टल दोष क्या है? कितने प्रकार के होते है? जानें

दोष(defect)

जिस प्रकार मनुष्य में कुछ दोष पाया जाता है ठीक उसी प्रकार ठोस के कणों में कुछ दोष पाया जाता है।

दोष दो प्रकार के होते है

1 .रसमिकरणमिति दोष     2 .अरसमिकरणमिति दोष

रसमिकरणमिति दोष

ऐसे दोष जिसमे धनायनों और ऋणायनों  के संख्या मे परिवर्तन नहीं होता है इस प्रकार के दोष को रसमिकरणमिति दोष कहते है

यह चार प्रकार के होते है

1.रिक्तिका दोष  2.अंतरकाशी दोष  3.शॉट्की दोष 4.फ्रेंकल दोष

रिक्तिका दोष

:- जब किसी जालक मे जालक बिन्दु रिक्त हो आर्थत  अवयवो कण निर्धारित स्थान से बाहर निकल जाये तो उत्पन दोष रिक्तिका दोष कहलाता है इस दोष से पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है। 

अंतरकाशी दोष

:-क्रिस्टलिय संरचना मे जब कुछ अवयवो कण अन्तरकाशी स्थानों मे चले जाते है तो उत्पन   दोष अंतरकाशी दोष कहलाता है

शॉट्की दोष

यह आयनिक ठोसों का रिक्तियां दोष है। क्रिस्टल निर्माण के समय,कुछ आयन आपना निश्चित स्थान छोड़कर क्रिस्टल जालक से बाहर निकाल जाते है। जिससे जालक में खाली स्थान रह जाता है। इसे शॉट्की दोष कहते है।

  • क्रिस्टल छोड़कर वाले धनायनों व ऋणायनों की संख्या समान रहती है। इसलिए क्रिस्टल की विधुत उदनशीनता बनी रहती है।
  • इस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व घट जाता है।
  • इस दोष के कारण क्रिस्टल का समन्वय संख्या कम हो जाता है।
  • ताप में बृद्धि होने पर शॉट्की  दोष में बृद्धि होती है।

शॉट्की दोष होने का कारण निम्नलिखित है-

  • उच्च समन्वय संख्या
  • आयनों का लगभग समान आकार

शॉट्की दोष के उदाहरण :- NaCl,KCl ,AgCl ,CsCl ,AgBr

फ्रेंकल दोष

सन् 1962 में वैज्ञानिक फ्रेंकल ने बताया की आयनिक क्रिस्टल में कोई आयन अपने निश्चित स्थान छोड़कर अंतराली स्थान में चला जाता है। जिससे उस आयन का स्थान रिक्त हो जात है।जिसे छिद्र कहते है। इसे फ्रेंकल दोष कहते है।

  • इस दोष आयनिक ठोसों का अंतराली दोष है।
  • इस प्रकार के दोष में धनायन आपने ही क्रिस्टल जालक के अंतराली स्थान में फस जाते है।
  • इस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व आपरिवर्तित होता है।
  • इस दोष के कारण क्रिस्टल का समन्वय संख्या आपरिवर्तित रहता है।

फ्रेंकल दोष होने का कारण

  • निमं समन्वय संख्या
  • ऋणायनों का आकार धनयनों से बहुत छोटा होता है।

फ्रेंकल दोष के उदाहरण:- ZnS ,CuCl,AgBr… इत्यादि

नोट:-AgBr एक ऐसा यौगिक है जो शाट्की और फ्रेंकल दोष दोनों में संभव होता है।

फ्रेंकेल दोष  और शॉट्की दोष में अंतर 

शॉट्की दोष और फ्रेंकल दोष के बिच निम्नलिखित अंतर है-

शॉट्की दोष या त्रुटि(schottky defect)फ्रेंकेल दोष (Frenkel defect)
इस दोष उन आयनिक क्रिस्टल में होता है जिसमें धनायन का आकार छोटा तथा ऋणायान का आकार बड़ा होता है|इस दोष उन आयनिक क्रिस्टल में होता है जिसमें धनायन और ऋणायान का आकार लगभग एक समान होता है|
 इस दोष धनायन एवं ऋणयान एक साथ क्रिस्टल से बिलुप्त हो जाते है| इस दोष धनायन अपने ही क्रिस्टल के अन्दर अंतराली स्थान में फंस जाते है|
शॉट्की दोष में घनत्व में परिवर्तन होता है|फ्रेंकेल दोष में घनत्व अपरिवर्तित होता है|
शॉट्की दोष में विधुत धारा उदासीन होता है|फ्रेंकेल दोष में विधुत धारा उदासीन होता है|
शॉट्की दोष में समन्वय संख्या अपरिवर्तित होता है|फ्रेंकेल दोष में समन्वय संख्या अपरिवर्तित होता है|

अरसमिकरणमिति दोष

ऐसे दोष जिसमे धनायनों और ऋणायनों  के संख्या मे परिवर्तन होता है इस प्रकार के दोष को अरसमिकरणमिति दोष कहते है।

अरसमिकरणमिति दोष के प्रकार

यह तीन प्रकार के होते है-

1.धातु अधिक्य दोष  2.धातु न्यूनता दोष 3.धातु अशुद्धि दोष

धातु अधिक्य दोष

ऋणायन रिक्तिका के कारण उत्पन दोष को धातु का आधिक्य दोष कहते है।

जैसे  NaCl Na+  +   Cl–  यह दोष NaCl यौगिक में पाया जाता है,जब NaCl को गर्म किया जाता है तो Na+ तथा Cl आयन में टूट जाता है ,जिसका अर्थ है की Na+ अपना एक इलेक्ट्रान Cl को देता है और Cl ऋणायन हो जाता है। तभी यह दोष उत्पन होता है।

धातु न्यूनता दोष

यह दोष परिवर्तित संयोजक दर्शाने वाली धातुओं को यौगिक में पाया जाता है। इस प्रकार के दोष को धातु न्यूनता दोष कहते है।

जैसे- FeO,FeS,NiO

धातु अशुद्धि दोष

वह दोष जो भिन्न प्रकार के आयनों में उपस्थित के कारण होता है। इस प्रकार के दोष को धातु का अशुद्धि दोष कहते है।

जैसे- NaCl , SrCl2 के कुछ मात्रा मिलने पर Sr++ तथा Na+  के स्थान को घेर लेता है।

शॉटकी दोष और फ्रेंकेल दोष का FAQ.

Q.शॉट्की दोष कौन-कौन आयन निकलते है?

उत्तर-धनायन एवं ऋणयान एक साथ क्रिस्टल से बिलुप्त हो जाते है|

Q फ्रेंकेल दोष आयन चले जाते है?

उत्तर-धनायन अपने ही क्रिस्टल के अन्दर अंतराली स्थान में फंस जाते है|

Q सिल्वर ब्रोमाइड(AgBr) कौन सा क्रिस्टल दोष प्रदर्शित करता है?

उत्तर-शॉट्की दोष एवं फ्रेंकेल दोष

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