क्रिस्टल दोष क्या है ? इसके प्रकार एवं उदाहरण सहित बताएगा गया है ।
क्रिस्टल दोष (Crystal defect):-
जब किसी क्रिस्टल से कण अपने स्थान से दुसरे उस स्थान पर क्रिस्टल से कण विलुप्त हो जाते है तो को कण अपने स्थान पर एक ही इकाई सेल मे या उस क्रिस्टल से कण (अणु, परमाणु, आयन ) विलुप्त हो जाते है इस प्रकार के दोष को क्रिस्टल दोष कहते हैI
क्रिस्टल दोष मे परमाणु का ताप बढ़ा या घटा देने पर परमाणु का स्थानांतरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो जाता है।
क्रिस्टल दोष दो प्रकार के होते है :-
- परमाणु या बिन्दू दोष
- इलेक्ट्रॉनिक दोष
परमाणु या विंदु दोष :-
क्रिस्टल मे किसी परमाणु मे के चारो ओर एक नियमित व्यवस्था मे उत्पन्न दोष बिन्दु दोष या परमाणु दोष कहलाते है।
परमाणु दोष दो प्रकार के होते है :-
- स्टाइकियोमीट्रिक दोष
- नॉन स्टोइकियोमेट्रिक दोष
स्टाइकियोमीट्रिक दोष :-
वह दोष जिसके कारण क्रिस्टल मे उपस्थित धनायनों तथा ऋणायनों का अनुपात परिवर्तित नहीं होता है स्टाइकियोमीट्रिक दोष कहलाता है |
स्टाइकियोमीट्रिक दोष निम्न प्रकार से हैं।
1.शॉटकी दोष
2.फेंकेल दोष
3.रिक्तियाँ दोष
4.अंतराकाशी दोष
1. शॉटकी दोष :-
>>यह दोष आयनिक ठोस मे होता है ।
>>इस दोष मे धनायन और ऋणायन दोनों एक सतह विलुप्त होते है ।
>> इस दोष मे समन्वय संव्या परिवर्तित होता है ।
>> इस दोष मे धनत्व मे कमी होता है।
>> इस दोष के कारण पूरे ठोस मे विधुत धारा उदासीन हो जाते है ।
Example :- Nacl , Kcl , Agcl ,AgBr……etc
Note :-शॉटकी दोष उच्च समन्वय संख्या वाले यौगिक में उत्पन्न होता है ।
2फ्रेंकेल दोष :-
इस प्रकार के दोष से घनायन अपने ही क्रिस्टल के अंदर अंतराली स्थान मे फस जाते है।
इस प्रकार के दोष में घनत्व अपरिवर्तित होता है।
इस प्रकार के दोष में समन्वय संख्या अपरिवर्तित होता है ।
इस प्रकार के दोष मे विधुतधारा उदासीन हो जाता है ।
Example :- AgBr , Zns , CsCl.. etc
Note :- AgBr यौगिक शॉटकी और फ्रेंकेल दोनों दोष को प्रदर्शित करते है ।
- शॉटकी और फ्रेंकेल दोनों दोष मे अंतर लिखे :-
शॉट्की और फ्रेंकेल त्रुट्टी के बीच अंतर , फ्रेंकेल शॉट्की दोष में अंतर ,फ्रेंकेल और शॉट्की दोष में क्या अंतर है ,फ्रेंकेल और शॉट्की दोष के बीच अंतर बताइए |
आज हम इस पोस्ट के माध्यम से हम आपलोग को शॉट्की दोष किसे कहते है ? फ्रेंकेल दोष किसे कहते है ? फ्रेंकेल और शॉट्की दोष के बिच अंतर क्या होता है?
Frenkel और Schottky defects differences in hindi, फ्रेंकेल और शॉट्की दोष जानने से पहले हमलोग फ्रेंकेल और शॉट्की का परिभाषा जन लेते है |
शॉट्की दोष | फ्रेंकेल दोष |
यह एक रिक्तियाँ दोष है यानि इसमें समान संख्या में धनायन तथा ऋणायान अपनी क्रिस्टल जालक से बिलुप्त हो जाते है| | यह एक अंतराकाशी दोष है अर्थात धनायन अपने ही क्रिस्टल के अंतराकशी स्थान में फंस जाते है | |
इसमें धनायन एवं ऋणायान का आकार लगभग समान होता है| | इसमें धनायन का आकार छोटा तथा ऋणायान का आकर बड़ा होता है| |
इस दोष में आयन क्रिस्टल जालक से निकल जाते है| | इस दोष में आयन क्रिस्टल जालक केअंतराकाशी में चल जाते है| |
इस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व घट जाता है| | इस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व अपरिवर्तित हो जाता है| |
इस दोष के कारण क्रिस्टल का समन्वय संख्या घट जाता है| | इस दोष के कारण क्रिस्टल का समन्वय संख्या अपरिवर्तित हो जाता है| |
इस दोष में क्रिस्टल के स्थायित्व तथा विथुत चालकता में वृद्धि होती है| | इस दोष में क्रिस्टल के स्थायित्व घटता है, परन्तु रिक्तियों की उपस्थति के कारण विथुत चालकता में वृद्धि होती है| |
रिक्तियाँ दोष :-
जब क्रिस्टल मे कुछ जालक स्थान रिक्त हो जाते है तब क्रिस्टल मे रिक्तियाँ दोष उतपन हो जाता है यह दोष ठोस का घनतव कम कर देता है I
अंतराकाशी दोष :-
जब कुछ अवयवी कणअंतराकाशी स्थल पर पहुँच जाते है तो क्रिस्टल मेंदोष उत्पन्न हो जाता है जिसेअंतराकाशी दोष कहते है इस दोष मे ठोस का घनत्व बढ जाता है।
नॉन स्टोइकियोमेट्रिक दोष :-
जब क्रिस्टल मे उपस्थित घनायनो तथा ऋणायनो की संख्या काअनुपातपरिवर्तित हो जाता है तो क्रिस्टल मे एक दोष उत्पन्न हो जाता है जिसे नॉन-स्टोइकियोमेट्रिक दोष कहते है ।
नॉन स्टोइकियोमेट्रिक दोषदो प्रकार के होते है ।
- धातु अधिक्ता दोष
- धातु अल्पता दोष
1. धातु अधिक्ता दोष :-
यह दोष क्रिस्टल मे तब उत्पन्न होता है तब क्रिस्टल का एक ऋणायन अपनी स्थिति को त्यागकर एकरिकत स्थान निर्माण करते है और रिकत स्थान मे इलेक्ट्रॉन प्रवेश करता है तथा ताकि क्रिस्टल के विधुतीय उदासीनता पर कोई प्रभाव न पड़े तो इस प्रकार के दोष को धातु अधिकता कहते है I
F- केंद्र (F – Centre) :-
यह रंग उत्पन्न करने वाला केंद्र होता है इसका यह है की या तो धनायन या तो ऋणायन स्थानातरण होने के कारण
धातु अल्पता दोष :-
इस प्रकार के दोष में धनायन कम संख्या मे क्रिस्टल के अन्तर होते है जबकि ऋणायन कीसंख्या अधिक मात्रा मे उपस्थित होते हैं।इस प्रकार के दोष समान्यतः संक्रमण तत्व मे होते है क्योकि संक्रमण तत्व का परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्था होता है जैसे:-जब आयरन ऑक्साइड के क्रिस्टल को गर्म किया जाता है तो यह दोष उत्पन्न होता है ।
अशुद्धता दोष :-
जब क्रिस्टल के अंदर किसी अन्य तत्व को डोपिंग किया जाता तो इस प्रकार के उत्पन्न दोष का अशुद्धता दोष कहते है ।
Example :- जब Naclक्रिस्टल मे Srcl2को डोपिंग किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक दोष :-
इस प्रकार के दोष मे इलेक्ट्रॉनो की संख्या क्रिस्टल के अंदर था बढ़ जाते है या तो घट जाते है इलेक्ट्रॉनिक दोष कहलाता है I
इलेक्ट्रॉनिक दोष दो प्रकार के होते है :-
n – type
p – type
Trick :-
n => Negative
p =>Positive
अर्द्धचालक = Si , Ge
Si और Ge का संयोजी इलेक्ट्रान चार होता है।
n – प्रकार अर्द्धचालक
हमलोग यह जानते है की शुद्ध Ge कुचालक होते है परंतु जब इसके आवर्त सारणी के पंच संयोजी तत्व के द्वारा विस्थापित किया जाता है तब इसकी विधुत चालक बढ़ जाती है तथा यह अर्द्धचालक बन जाती है।
इस प्रकार के अर्द्धचालक को n –type अर्द्धचालक कहते है ।
इस प्रकार के अर्द्धचालक में इलेक्ट्रान अधिक मात्रा मे हो जाते है ।
समूह संख्या = 14 समूह संख्या = 15
C N
Si P
Ge As
Sn Sb
Pb Bi
P – प्रकार अर्द्धचालक
इस प्रकार के अर्द्धचालक का निर्माण समूह संख्या 14 वाले तत्व को समूह संख्या 13 को डोपिंग किया जाता है तो p-प्रकार अर्द्धचालक का निर्माण होता है।
समूह संख्या = 14 समूह संख्या = 13
C B
Si Al
Ge Ga
Sn In
Pb Tl