हेमाटाइट अयस्क से लोहा के निष्कर्षण || भौतिक गुण और रासायनिक अभिक्रिया || लोहा का प्रकार

हेमाटाइट अयस्क से लोहा के निष्कर्षण ,भौतिक गुण और रासायनिक अभिक्रिया ,लोहा का प्रकार

आयरन

संकेत – Fe

परमणु संख्या – 26

द्रव्यमान संख्या – 56

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – 4S23d6

समूह संख्या – VIII या 8 

आवर्त संख्या– 4

ब्लॉक – d

महत्वपूर्ण अयस्क

हेमाटाइट – Fe2O3

मैगनेटाइट– Fe3O4

आयरन पाइराइट – FeS2

सीडेराइट – Fe2CO3

लिमोराइट – FeO(OH).nH2O

इन सबो में लोहा का सर्वप्रथम अयस्क हेमाटाइट है तथा इसी अयस्क द्वारा लोहा का निष्कर्षण बड़े पैमाने पर किया जाता है|

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लोहा के रूप

ढलबा लोहा , पिटवा लोहा ,इस्पात लोहा के ये विभिन्न रूप कार्बन की मात्रा पर निर्भर कारता है

हेमाटाइट अयस्क से लोहा के निष्कर्षण

हेमाटाइट अयस्क से लोहा के निष्कर्षण निम्नलिखित चरणों से पूरा किया जाता है :-

हेमाटाइट अयस्क का सांद्रण

सर्वप्रथम अयस्क का महिन चूर्ण कर लिया जाता है तथा इसमें जल की धारा प्रवाहित की जाती है जिससे मिट्टी तथा बालू के कण हट जाते है अंततः इसका चुम्बकीय विधी तथा गुरुत्व पृथककरण विधि द्वारा कर लिया जाता है |

हेमाटाइट अयस्क का जारण

इस प्रकार प्राप्त सान्द्रित अयस्क का जारण किया जाता है | जारण के पश्चात CO2 और नमी हट जाती है तथा सल्फर एवं  आर्सेनिक (As) अपने ऑक्साइड बनकर उड़ जाते है तथा फेरिक ऑक्साइड में हो जाता है |

S + O2  SO2

4As + 3O2  2As2O3

C + O2CO2

4FeO + O2  2Fe2O3

 स्मेल्टिंग या पद्रावन

अब जारित अयस्क को फोरक चुना–पत्थर एवं सीलिका के साथ मिलाकर एक वातभठ्ठी में कप एवं कोण व्यवस्था द्वारा डाला जाता है,जबकि सबसे निचले हिस्से का तापक्रम 1500oc रहता है | अलग-अलग तापक्रमों पर वातभठ्ठी में निम्नलिखित प्रतिक्रिया होती है | वातभठ्ठी में निचे से टावर द्वारा गर्म हवा प्रवाहित की जाती है वातभठ्ठी में सबसे उपरी स्थित का तापक्रम 400°C मध्य भाग का तापक्रम 600°C 800°C,1000°C तथा 1250°C रहता है |

तप्तिकरण का क्षेत्र

इस क्षेत्र का तापक्रम 400°C रहता है यहाँ पूरी नमी हट जाती है |

अवकरण का क्षेत्र–

इस क्षेत्र का तापक्रम 700°C से 900°C रहता है यहाँ कोक द्वारा ऑक्सिकृत होकर CO2 प्रदान करता है जो पुनः कोक से प्रतिक्रिया करके CO में परिवर्तित हो जाता है |

2C + O 2CO

C + O2 CO2

CO2 + C 2CO   

यह प्राप्त CO,फेरिक ऑक्साइड को लोहा में परिवर्तित कर देता है |

3Fe2O3 + CO  2Fe3O4 + CO2

Fe3O4 + CO  3FeO + CO2

FeO + CO Fe + CO2

धातुमल उत्पादन का क्षेत्र– इस क्षेत्र का तापक्रम करीब 900°C-1200°C रहता है, यहाँ पर चुना-पत्थर टूट कर CaOऔर  CO2 प्रदान करता है |

CaCO3 CaO + CO2  इस प्रकार प्राप्त CaO सिलिका से प्रतिक्रिया करके कैल्सियम सिलिकेट धातुमल बनता है जो इसका होने के के कारण द्रवित धातु के ऊपर तैरते रहता है |

CaO + SiO2  →  CaSiO3 (कैल्सियम सिलिकेट)

~पिघलने का क्षेत्र ~

इस क्षेत्र का तापक्रम करीब 1200°से 1500°c रहता है बीस तापक्रम पर लोहा पूर्णतः पिघलकर सल्फर,फ़ास्फ़रोस, मैगेननिज और सिलिका आदि अशुद्धिया को अपने में घुला लेता है|धातुमल हल्का होने के कारण द्रवित लोहा के ऊपर तैरते रहता है इसे समय-समय पर हटाते रहते है | द्रवित लोहा के निचले हिस्से से निकाला जाता है तथा विभिन्न सांचो ढाला जाता है | इस प्रकार प्राप्त लोहा ढलवा लोहा कहलाता है इसे विभिन्न पदार्थो की प्रतिशत मात्राएँ इस प्रकार होती है|

लोहा = 92-95%          कार्बन = 2.2-4%

सिलिकॉन = 0.5-2%    मैगेननिज = 0.2-1%

फ़ास्फ़रोस = 0.7%       सल्फर =0.3%

आयरन का भौतिक गुण

  • शुद्द लोहा अघत्यवर्धिता एवं तन्य होता है |
  • इसका गलनांक1536°Cऔर कव्थनांक 3000°C होता है |
  • 770°c पर लोहा फेरोचुम्बकीय पदार्थ है परन्तु इस तापक्रम के ऊपर जब इसे लाल तप्त कर दिया जाता है तब यह अपने फेरोचुम्बकीय गुण को खो देते है|

आयरन का रासयनिक गुण

वायु के साथ अभिक्रिया – लोहा को कसकर गर्म करने पर Fe3O4 बनता है |

3Fe + 2O2  Fe3O4

जल के साथ अभिक्रिया – जब लाल तप्त लोहे पर जलवाष्प प्रवाहित किया जाता है तब हाइड्रोजन गैस मुक्त होती है |

3Fe + 4H2O Fe3O4 + 4H2

अधातु के साथ अभिक्रिया – जब गर्म लोहा के ऊपर क्लोरीन और सल्फर बनाता है  

2Fe + 3Cl2 → 2FeCl3

Fe + S  FeS

CuSO4 के साथ अभिक्रिया  – जब CuSO4 के घोल को लोहा में डाला जाता है तब अवक्षेपित हो जाता है |

Fe + CuSO4  →  FeSO4 + Cu ↓

Blue               Green

H2SO4 के साथ अभिक्रिया – लोहे की प्रतिक्रिया तनु H2SO4 से कराने पर FeSO4 एवं H2 बनता है |

Fe + H2SO4 → FeSO4 + H2

लोहे की प्रतिक्रिया सांद्र. H2SO4 से कराने पर फेरिक सलफेट  बनाता है तथा साथ ही SO2 गैस मुक्त होती है|

2Fe + 6H2SO4 → Fe2(SO4)3 + 3SO2 + 6H2

लोहा का यौगिक

लोहा एक संक्रमण धातु है यह अपने +2 और +3 ऑक्सीकरण अवस्थओं  में यौगिक का निर्माण करता है | +2 वाला यौगिक Ferrous और  +3 अवस्था वाले यौगिक Ferric कहलाते है | इन दोनों अवस्थाओ  में बने यौगिक निम्म है|

हेमाटाइट अयस्क से लोहा के निष्कर्षण,FAQ.

Q.लोहा का प्रमुख अयस्क क्या है?

उत्तर-लोहा का प्रमुख अयस्क हेमाटाइट है 

Q.लोहा के निष्कर्षण में उत्पन धातु मल  क्या होता है?

उत्तर- लोहा के निष्कर्षण में उत्पन धातु मल कैल्सियम सिलिकेट (CaSiO3)

Q.लोहा का गलनांक तथा कितना होता है ?

उत्तर-लोहा का  गलनांक1536°Cऔर कव्थनांक 3000°C होता है

Q.हेमाटाइट अयस्क से आयरन का निष्कर्षण किस भट्टी में होता है ?

उत्तर-वात्याभट्टी

Q.लोहा का संकेत क्या होता है?

उत्तर-Fe

Q.लोहा का परमाणु संख्या क्या होता है?

उत्तर- 26 

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