परासरण दाब से क्या समझते है || परासरण क्या होता है || अर्द्धपारगम्य झिल्ली || आइसोटॉनिक घोल पर आधारित प्रशन

परासरण क्या है ? परिभाषित करे
उत्तर – परासरण विसरण का प्रकार है जो मूल रूप से सेल या कोशिकाओ से सम्बन्धित है विसरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे ,अणु ,परमाणु और आयन अधिक सारण वाले घोल से कम सांद्रण वाले घोल की ओर होता है |
 परासरण क्या है ?(Osmosis in hindi)
उत्तर – जब कोई घोल का संतुलन बनाए रखने के लिए किसी अर्द्धपारगम्य झिल्ली से हो कर प्रवाह होता है तब उसे परासरण कहते है | या
जब विलायक का प्रवाह अधिक सांद्रण वाले घोल से कम सांद्रण वाले घोल से अर्द्धपरागम्य झिल्ली से होता है तो यह प्रक्रिया परासरण कहलाता है|
हमलोग परासरण दाब जानने से पहले अर्द्धपारगम्य झिल्ली के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे |

अर्द्धपारगम्य झिल्ली (semipermeable membrane )

यह एक ऐसी झिल्ली है जिससे होकर केवल विलायक के अणु या कण को प्रवाहित होना होता है जबकि विलेय के कण के प्रवाह को रोक देता है , अर्द्धपारगम्य झिल्ली कहलाता है |
विलेय (घुल्य ) और विलायक ( धोलक ) ( Solute and solvent हिंदी में )
परासरण एक धोल में होता है |धोल दो अवयव या चीजों से बनता है , घुल्य और धोलक घुल्य वह होता है जो धोल में कम मात्रा में होता है जबकि धोलक घोल में अधिक मात्रा में होता है | जैसे – अगर चीनी और पानी का घोल हो तो चीनी घुल्य है और पानी घोलक |

परासरण दाब के आधार पर घोल तीन प्रकार के होते है:-

1. आइसोटोनिक घोल 2.हाइपरटोनिक घल 3. हाइपोटोनिक घोल

1.आइसोटोनिक घोल (Isotonic solution in hindi)
उत्तर –जब सेल ऐसे घोल में हो जिसमे विलेय का सांद्रण सेल के अन्दर और बाहर विलकुल एक समान हो ,तब उसे आइसोटोनिक घोल कहलाते है |
2.हाइपरटोनिक घोल (hypertonic solution in hindi)
उत्तर – वैसा घोल जिसका सांद्रण उसमे रखी सेल के सांद्रण से ज्यादा होता है , हाइपरटोनिक घोल कहलाता है | इस प्रकार इसमें रखे सेल का संदारण एक बराबर करने के लिए सेल के अन्दर से विलायक या पानी बाहर निकल जाता है|
3. हाइपोटोनिक घोल (hypotonic solution in hindi)
उत्तर –इस विलयन में कोशिका के अंदर का विलेय कंसंट्रेशन बाहर से विलयन से अधिक होता है। इसलिए बाहर से विलेय कोशिका के अंदर आएगा,जिससे सांद्रणआंतुलित हो जाए|

सेल (कोशिका) पर विलयन का प्रभाव

उत्तर – विभिन्न घोल का एनीमल सेल और पौधों की सेल पर अलग – अलग असर पड़ता है , क्योकि दोनों की क्षमताए अलग – अलग होती है |अगल किसी जानवर का सेल हाइपोटोनिक घोल में रखा जाए तो सांद्रण संतुलन होने के लिए विलायक सेल के अंतर सेल झिल्ली द्वारा समा जाता है और वह सेल फुल जाएगी और अतः सेल फट जायेगी|

कोशिका पर विलयन का प्रभाव (cell effect on solution in hindi)
विभिन्न विलयन का जानवरों की कोशिकाओं ( एनिमल सेल ) और पौधों की कोशिकाओं ( प्लांट सेल ) पर अलग असर पड़ता है, क्योंकि दोनों की क्षमताएँ भी भिन्न होती हैं।अगर किसी एनिमल सेल को हाइपोटोनिक विलयन में रख दिया जाए, तो सांद्रण को संतुलन में लाने के लिए विलेय सेल के अंदर सेल मेम्ब्रेन द्वारा घुस जाएगा और वह सेल (कोशिका ) फूल जायगी और अंततः फट जाएगी।

परंतु जब इसी विलयन में प्लांट सेल को रखेगे, तब वह अपनी मोटी कोशिका भित्ति (सेल वॉल) के कारण फटेगा नहीं, बस फूल जाएगा। यह वातावरण प्लांट सेल के लिए इष्टतम है। एनिमल सेल के लिए आइसोटोनिक विलयन उच्चतम होता है। क्योंकि इसमें ना ही विलायक अंदर जाता है ना बाहर। जबकि प्लांट सेल को इसमें रखा जाए, तो पानी (विलायक ) नहीं ले पाने के कारण कुछ समय पश्चात उसकी पत्तियां सीधी न रहकर नीचे की ओर लटक जाएँगी।

हाइपरटोनिक विलयन दोनो ही तरह की कोशिकाओं के लिए घातक है। इसमे होने से कोशिका के भीतर कम सांद्रण रहेगा, जिस कारण वश सारा पानी कोशिका से बाहर की ओर जाएगा, और वह कोशिका सूख कर पिचक जाएगी ( प्लांट सेल में इसे प्लाज़्मोलाइज़ेशन कहेंगे)।

इसी वजह से जब किसी घोंगे या छोटे कीड़े पर हम नमक डालते हैं, तो वह सिकुड़ के मर जाता है।

परासरण के कुछ उदाहरण (examples of osmosis in hindi)
देर तक पानी मे नहाने के कारण हमारी उंगलियाँ सिकुड़ सी जाती है। शरीर में ज़्यादा सांद्रण होने से पानी उंगलियों के अन्दर चला जाता और उंगलियाँ वैसी दिखती हैं।पेड़ पानी भी ऐसे ही लेते हैं। जड़ों में ज़्यादा सांद्रण होता है। तो पानी पेड़ में आ जाता है। पानी आने से पेड़ की कोशिकाएँ फूल जाती हैं। उनके फूलते ही गार्ड सेल्स (जो पत्तों के नीचे होते हैं ) खुलते हैं, जिनसे कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन का आदान प्रदान होता है।

कॉलरा होने पर आंतों में बैक्टीरिया हो जाते हैं, जिस कारण आंतें पोषक तत्व सोख नहीं पाती जो कि मृत्यु का कारण भी बन सकता है।

इसी तरह अगर किसी समुद्र की मछली को तालाब में डाल दिया जाए, तो ऑस्मोसिस उल्टी दिशा में होने से वह मछली मार जाएगी।

परासरण दाब से संबंधित परिभाषाएँ

विसरण(diffusion)– अणुओं का उच्च सांद्रण से निच्च सांद्रण की ओर अवभाविक रूप से जाने को डिफ्फ्यूज़न कहते हैं। ओसमोसिस भी एक प्रकार का डिफ्फ्यूज़न ही है।

विलयन (solution)– दो या अधिक पदार्थों से बना, जिसमे एक प्रदार्थ ( सौल्युट ) को दूसरे में ( सॉल्वेंट ) में घोला जाता है, वह विलयन कहलाता है।

अर्ध पारगम्य (semi-permeable) – वह बाधा जो कुछ चुने हुए पदार्थो को आर पार होने दे, उसे अर्ध पारगम्य कहते है। कोशिकाओं की झिल्ली (मेम्ब्रेन) अर्ध पारगम्य होती है।

कोशिका (cell) – कोशिका वह सबसे छोटी इकाई है, जिससे जीवित प्राणी बने हैं। उसके कई छोटे अंग भी होते है, और उसी में हमारा डीएनए,अनुवांशिक जानकारी और प्रोटीन बनता है।

परासरण क्या है ? परिभाषित करे,FAQ.

Q. परासरण वह क्रिया है जिसमें प्रवाहित होता है ?

उत्तर- विलायक का प्रवाह निम्न से उच्च सांद्रण की ओर अर्द्धपारगम्य के द्वारा 

Q अर्द्धपरागम्य झिल्ली से प्रवाहित होता है ?

उत्तर – केवल विलायक के अणु 

Q. आइसोटोनिक घोल में एक समान होते है ? 

उत्तर – परासरण दाब और विलयन का सांद्रण 

Q. विसरण क्या होता है ? 

उत्तर – यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो उच्च सांद्रण से निम्न सांद्रण की ओर विलायक का प्रवाह होता है |

Q. उल्टा परासरण क्या है ? 

उत्तर- विलायक का प्रवाह उच्च से निम्न सांद्रण की ओर होता है | परासरण दाब की इकाई क्या होता है ?  

Q. परासरण दाब की इकाई क्या होता है ?

उत्तर – atm 

Q.परासरण दाब निर्भर करता है |

उत्तर – सांद्रण तथा ताप पर 

Q. यदि कणों की संख्या विलयन में अधिक हो , तो परासरण दाब बड़ेगा या घटेगा ? 

उत्तर – बढेगा  

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top