साबुन की परिभाषा (साबुन क्या होता है?)
साबुन का उपयोग हमारे दैनिक जीवन में प्रत्येक दिन होता ही है हम सभी के घरो में किसी न किसी कम्पनी का साबुन जरूर इस्तेमाल होता ही है क्या आपने कभी सोचा है कि साबुन को किस तरह बनाया जाता है अगर आपको साबुन के बारे में अभी तक नहीं जाना कि साबुन को किस तरीके से बनाया जाता है तो कोई बात नहीं आज हम आपको साबुन के बारे में विस्तार के साथ बताने वाले हूँ तो विना किसी देरी के आइए जानते हैं साबुन किसे कहते हैं? अधिक अणुभार वाले कर्बोक्सिलिक अम्लो के सोडियम तथा पोटेशियम लवण को साबुन कहते हैं। इसका सामान्य सूत्र R-COONa तथा R-COOK होता है। जहाँ R = C17H35 तथा अन्य उच्च एल्किल समूह उपस्थित होते हैं। जब तेल अथवा वसा की क्षार से क्रिया करायी जाती है तो साबुन का निर्माण होता है। तो यह प्रक्रिया को साबुनीकरण कहते हैं।
साबुन का संरचना सूत्र
CH2COOC17H35 CH2OH
I Ι
CHCOOC17H35 + 3NaOH __________> CHOH + 3C17H35COONa (साबुन)
I Ι
CH2COOC17H35 CH2OH
साबुन बनाने में प्रयुक्त होने वाले तेल और वसा उच्च अणुभार वाले मोनो-कर्बोक्सिलिक अम्लो के ग्लिसरोल के साथ बने एस्टेर होते हैं। इनमे उपस्थित उच्च अणुभार वाले मोनो कार्बोकिसलिक अम्ल होते हैं जो निम्नलिखित हैं।
- स्टिएरिक अम्ल (C17H35COOH)
- पामिटिक अम्ल (C15H31COOH)
- ओलिएक अम्ल (C17H33COOH)
तेल तथा वसा के द्वारा क्षारीय जल अपघटन से साबुन के बनने की क्रिया को साबुनीकरण कहते हैं। साबुन जल में विलेय होते हैं।
साबुन कितने प्रकार के होते है
ऊपर के लेख में हमने आपको साबुन क्या है इसके बारे में विस्तार के साथ बताया है अब हम आपको साबुन के प्रकार के बारे में बताते हैं। साबुन दो प्रकार के होते हैं।
- कठोर साबुन
- मुलायम साबुन
कठोर साबुन – वे साबुन जिनमें कास्टिक सोड़ा का प्रयोग किया जाता है ऐसे साबुन को कठोर साबुन कहलाता हैं। यह साबुन जल के साथ कम झाग उत्पन्न करता है।
मुलायम साबुन – वे साबुन जिसमे कास्टिक पोटास का प्रयोग किया जाता है ऐसे साबुन को मुलायम साबुनकहलाता हैं। यह जल के साथ अधिक झाग देता है।
अच्छे साबुन की विशेषताएँ
ऊपर के लेख में आपने साबुन क्या है? साबुन कितने प्रकार का होता है। साबुन का सूत्र क्या होता है? इसके बारे में जाना। अब आप अच्छे साबुन की विशेषता के बारे में सानेंगे। अच्छे साबुन की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं।
- साबुन चिकना एवं मुलायम होता है।
- साबुन में क्षार नहीं उपस्थित होना चाहिए।
- प्रयोग के समय साबुन टूटना नहीं चाहिए।
- इसमें 10% नमी नहीं होना चाहिए।
- यह अल्कोहल में पूर्ण तरह विलेय होना चाहिए।
- इसमें कीटाणुनाशक पदार्थ मिले होता है।
साबुन बनाने की विधि
साबुन क्या है? साबुन का सूत्र और साबुन के प्रकार के बारे में जानने के बाद अब हम आपको साबुन बनाने की विधि के बारे में बताने वाले हैं। साबुन का निर्माण निम्नलिखित विधि के द्वारा किया जा सकता है।
गर्म विधि द्वारा साबुन का निर्माण
इस विधि में एक बड़े बर्तन में तेल या पिघला हुआ वसा लेकर उसमे उचित मात्रा में कास्टिक सोडा विलयन मिलते हैं। इस मिश्रण को भाप की सहायता से गर्म करते हैं। जब मिश्रण उबलने लगता है तो ठोढ़ी देर बाद उसमे मिश्रण में ठोस सोडियम क्लोराइड मिलाते हैं। ऊपर से गर्म भाप देते रहते हैं सम आयन प्रभाव के कारण साबुन अवक्षेपित हो जाता है। तथा हल्का होने के कारण ऊपरी परत बना लेता है। इसे स्पेंट लाई कहते हैं। तथा इससे ग्लिसरोल को साइड प्रोडक्ट के रूप में प्राप्त किया जाता है।स्पेंट लाई को निकास द्वार से निकाल लेते हैं। शेष मिश्रण में साबुन के अतिरिक्त अन-अपघटित तेल या वसा भी होता है इसमें NaOH विलयन मिला कर निम्न प्रक्रिया को दोहराते हैं। इस प्रकार बर्तन में मुख्यता साबुन प्राप्त होता है। गलित अवस्था में इसे एक दूसरे बर्तन में ले जाते हैं। इस दूसरे बर्तन में एक stirrer लगा होता है इस बर्तन में साबुन में रंग, सुगंध, कीटाणुनाशक पदार्थ तथा अन्य उपयोगी पदार्थ मिला देते हैं। stirrer के प्रयोग से इन पदार्थो का सामगी मिश्रण प्राप्त होता है। इस मिश्रण को बर्तन से बाहर निकाल कर साचो में डाल कर ठण्डा कर लेते हैं।
साबुन का उपयोग
- साबुन का प्रमुख उपयोग शरीर एवं कपड़ो की सफाई करने में किया जाता है।
- शेविंग यानि दाढ़ी बनाने वाले क्रीम में, शेविंग सोप का प्रयोग किया जाता है।
- चर्म रोगों की औषधि युक्त साबुन बनाने में।
साबुन के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ
साबुन के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ निम्नलिखित हैं-
- वनस्पति तेल में
- कास्टिक पदार्थ में
- सोडियम सिलिकेट में
- कार्बोलिक अम्ल में